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कपास की फसल में बुवाई के 60-80 दिन बाद फूल/डेंडू अवस्था के समय रस चूसने वाले कीट जैसे एफिड, जैसिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, मकड़ी और डेंडू को नुकसान पहुंचाने वाली गुलाबी सुंडी आदि कीट एवं कवक जनित बीमारियों जैसे पत्ती धब्बा रोग का संक्रमण मुख्यतः देखा जाता है। इन कीटों एवं बीमारियों के नियंत्रण के साथ ही फसल में अधिक मात्रा में फूल आने के लिए उचित समय पर प्रबंध किया जाना चाहिए।
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प्रबंधन: सेलक्रोन 50% ईसी @ 500 मिली/एकड़ + इमामेक्टिन 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़, (अत्यधिक समस्या होने पर स्पिनोसैड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ के साथ) + ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP) @ 300 ग्राम/एकड़ + कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ + होमोब्रेसिनोलिड 0.04% @ 100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।
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जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम प्रति + प्रो-अमिनोमैक्स @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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इस अवस्था में कपास की फसल को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। इस हेतु 0:52:34 @ 1 किलो प्रति एकड़ का छिड़काव कर सकते हैं। यह अधिक संख्या में फूल एवं डेंडू बनने में मदद करता है।
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इस प्रकार पोषण, कीट एवं रोग का प्रबंधन करने से कपास की फसल से बहुत अधिक मुनाफा मिलता है।
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