राइज़ोबियम कल्चर से बीज उपचार कैसे करे

  • 1 लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ डाल कर लगभग 15 मिनट तक गर्म करे और इसका घोल बनाएं 
  • घोल ठंडा होने पर इस में 3 पैकेट (600 ग्राम) राइजोबियम कल्चर मिलाएं और धीरे धीरे लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें| 
  • इस घोल को बीजों पर धीरे-धीरे इस तरह छिड़कना चाहिए कि घोल की परत सब बीजों पर समान रूप से चिपक जाए. 10 किलो बीज के लिए यह पर्याप्त है| 
  • हाथों में दस्ताने पहनकर बीजों को अच्छी तरह मिला कर इन बीजों को छायादार जगह पर सुखाएं| ध्यान रखें कि बीज आपस में चिपके नहीं|
  • उपचारित बीजों को शीघ्र ही बुवाई कर दे| 
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बेहद जरूरी है बदलते मौसम के साथ तालमेल

बंगाल की खाड़ी में बने प्रति चक्रवात की वजह से मध्य भारत में बारिश और हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार देश के कई इलाकों में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है। आज भी बारिश की संभावना बनी हुई है और अगले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों सहित उत्तरी छत्तीसगढ़ में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।  इसके साथ ही सिक्किम, पश्चिम बंगाल और दक्षिणी तटीय तमिलनाडु में एक-दो स्थानों में छिटपुट बारिश होने की आशंका है।  

मौसम के बदलाव को देखते हुए किसान भाई बरतें निम्नलिखित सावधानियां 

  • खेत में जल निकास का प्रबंधन करें ताकि खेत में पानी ज्यादा देर तक न रुक सके।  
  • फसल कटाई के दौरान उसे खुले में न रखकर किसी छपरे, कमरे, गोदाम अथवा जहाँ बारिश का पानी न आये, ऐसी जगह रखें। 
  • आसमान के साफ़ होने पर चना मसूर गेहूं को तिरपाल या प्लास्टिक की चादरों पर खोलकर 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सूखा लें ताकि दानों में नमी की मात्रा 12% से कम हो जाए तभी भंडारण करें। 
  • बीज को कीट, फफूंद व खरपतवार से बचाने के लिए बीज भंडारण से पहले बीज में मिले हुए डंठल, मिट्टी, पत्तियां तथा खरपतवार को भलीभांति साफ कर लें एवं तेज धूप में दो-तीन दिन तक सुखा कर 8-10 % नमी होने पर ही भंडारण करें।
  • बीज भंडारण के पहले फफूंदनाशक दवा से बीज उपचार करना जरूरी होता है जिससे बीज जनित रोग का सस्ता एवं कारगर नियंत्रण हो सकता है। बीज उपचार हेतु थाइरम या केप्टान दवा 3 ग्राम अथवा कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित करना चाहिए। 
  • मौसम के बदलाव को देखते हुए कई तरह के रोग एवं कीट फसलों पर हमले कर सकते है क्यों कि यह वातावरण इनके लिए उपयुक्त है।.
  • ग्रीष्मकालीन कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीट के आक्रमण की संभावना रहती है। इस कीट की संख्या अधिक हो तो डाइक्लोरोवोस 76 ईसी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • भिंडी में रस सूचक कीट जैसे सफेद मक्खी, एफिड,जैसिड आदि के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट 30 ईसी 1-1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। 
  • प्याज में थ्रिप्स (तेला) की अधिक संभावना बनी हुई है अतः प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी.  प्रति 15 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। 
  • रासायनिक दवा के साथ इस मौसम में 0.5 मिली चिपको प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें ताकि दवा पौधों द्वारा अवशोषित हो जाये। 
  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए गहरी जुताई करने से मिट्टी में हवा का आवागमन सुचारु रूप से होता है जिससे मिट्टी में जल धारण क्षमता बढ़ती है एवं हानिकारक कीट एवं कवक बीजाणु नष्ट होते हैं। 
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मूंग समृद्धि किट में पाए जाने वाले उत्पादों की उपयोगिता 

 

ग्रामोफोन के इस बहुउपयोगी मूंग समृद्धि किट में निम्न उत्पाद है 

  • इंक्रील: यह उत्पाद समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड जैसी प्राकृतिक रूप से उपलब्ध तत्वों का संयोजन है। यह जड़ों के विकास तथा प्रकाश संश्लेषण को बढाकर फसल का बेहतर विकास करता है
  • ट्राइको शील्ड कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। जिससे फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे रोगों से रक्षा होती है। 
  • कॉम्बिमेक्स: यह उत्पाद दो अलग अलग प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु का मिश्रण है जो मूँग की फसल के लिए आवश्यक तत्व पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता को बढ़ाने में मदद करता है एवं फसल के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक है
  • जय वाटिका राइज़ोबियम: यह बैक्टीरिया दलहनी फ़सलों की जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर कर फ़सलों को उपलब्ध अवस्था में मिलता  है

मूंग समृद्धि किट के इस्तेमाल को लेकर किसानों के अनुभवों को जानने के लिए यह वीडियो देखे-

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ग्रामोफ़ोन मूंग समृद्धि किट के संग करें मूंग की उन्नत खेती 

  • मूंग समृद्धि किट में सम्मिलित सभी उत्पाद जैविक होने के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना मिट्टी की संरचना को सुधारते हैं।
  • यह किट मिट्टी में उपस्थित लाभकारी जीवों की संख्या और पौधों के पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने का कार्य करते हैं।
  • मूंग समृद्धि किट से हानिकारक कवकों को नष्ट करने और जड़ों के विकास आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्य को करने में बहुत मदद करते हैं।
  • यह किट फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे रोगों से रक्षा करता है।
  • यह किट जड़ों में राइजोबियम बढाकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण  करता है।

मूंग समृद्धि किट के इस्तेमाल को लेकर किसानों के अनुभवों को जानने के लिए यह वीडियो देखे-

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भूमि व बीज उपचार से बढ़ाएं जायद मूंग की पैदावार

भूमि उपचार: मूंग की फसल हेतु कृषि प्रक्रिया आरंभ करने से पहले भूमि उपचार अति आवश्यक है। इससे भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट व कवकों को नष्ट किया जा सके। 

6-8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 4 किलो कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया और 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिडी मिला कर एक एकड़ खेत में बिखेर दे।

बीज उपचार: मूंग की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए बीज उपचार बहुत फ़ायदेमंद होता है। इससे हानिकारक कवकों व रस चूसक कीट से बचाव हो जाती है। 

मूंग के बीजो में (1) 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS  या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी/स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस तथा 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48 FS प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।

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मूंग की फसल हेतु भूमि की तैयारी के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है ‘मूंग समृद्धि किट’

  • इस किट में वो सभी आवश्यक तत्व शामिल किये गए हैं जो की मूंग की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आवश्यक होते हैं।
  • इस ‘मूंग समृद्धि किट’ में कई प्रकार के लाभकारी जीवाणु मौजूद रहते हैं।
  • इन जीवाणुओं में पोटाश एवं फॉस्फोरस के बैक्टीरिया, ट्रायकोडर्मा विरिडी, हुमीक सीवीड एवं राइजोबियम बैक्टीरिया प्रमुख हैं।
  • इन सभी सूक्ष्म जीवाणुओं को मिलाकर यह किट तैयार की गयी है ।
  • इस किट का कुल वज़न 6 किलो है जिसका प्रति एक एकड़ की दर से उपयोग किया जाता है।
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Seed Treatment of Chickpea (Gram)

  • चने को बुआई से पहले फफुद जनित बिमारियों जैसे जड़ सडन, कोलर सडन एवं पाद गलन से बचने के लिए कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% या कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए |

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

  • बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे डंपिंग ऑफ रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 40 ग्राम / पम्प से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | यह उपाय डंपिंग ऑफ नामक बीमारी जो की पौध को नष्ट कर देती हैं के नियंत्रण के लिए बहुत उपयोगी हैं | 

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम / 6 लीटर पानी 1 एकड़ बीज के लिए  या थायोफनेट मिथाइल 45% + पाइरक्लोस्ट्रोबिन 5% एफएस @ 800 मिलीलीटर/16 लीटर पानी 40 क्विंटल बीज के लिए | 

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seed treatment in soybean

सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बुवाई के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |

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