गेहूँ की फसल को गेरुआ रोग के प्रकोप से ऐसे बचाएं

The outbreak of rust disease in wheat and its cure
  • देरी से बोई गई गेहूँ की फसल में अधिकतर ‘गेरुआ रोग’ देखने को मिलता है। गेहूँ की फसल में यह रोग पक्सीनिया रिकोंडिटा ट्रिटिसाई नामक कवक से होता है, जिसे भूरा रतुआ, पीला रतुआ या काला रतुआ के नाम से भी जाना जाता है l 

  • इस रोग की शुरुआती अवस्था में पत्तियों की ऊपरी सतह पर नारंगी रंग के धब्बे उभरते हैं, जो बाद में बढ़कर पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं l

  • रोगी पत्तियां जल्दी सूख जाती हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में कमी आती है। इसके चलते दाना हल्का बनता है l

  • वहीं तापमान बढ़ने की स्थिति में पत्तियों की निचली सतह पर इन धब्बों का रंग काला हो जाता है l 

  • इस रोग के रासायनिक नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 400 मिली या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली या टेबुकोनाज़ोल 25.9% ईसी @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक नियंत्रण के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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