- यह रोग देशी एवं अमेरिकन दोनों किस्मों के कपास में लग सकता है।
- आमतौर पर पहली मानसूनी बारिश के बाद पौधा जब 30-40 दिनों की अवस्था में प्रवेश करता है तब इस रोग का प्रकोप होता है।
- जड़ गलन रोग के लक्षण गोलाकार पेच रूप में दिखाई देते हैं। इसके कारण फसल खेत के बीच बीच में गोल घेरे की आकार में सूखने लगता है।
- इससे प्रभावित पौधा अचानक से मुरझाकर धीरे-धीरे सुख जाता है। जब पौधे को उखाड कर देखते है तो वह आसानी से उखड जाता है।
- जड़ गलन रोग में पौधे की जड़ गलने लग जाती है। इस रोग के लगने पर पौधा सूख जाता है। इसके अलावा पत्तियां सूखने के बाद पौधे से गिरती नहीं है बल्कि पौधे पर लगी रहती है।
- इसके प्रकोप से बचने के लिए आप ट्रायकोडर्मा विरिडी के 500 ग्राम की मात्रा का प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- इसके अलावा कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63%WP@ 500 ग्राम/एकड़ या थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से भी उपयोग कर सकते हैं।
Today’s Crop Photo
नाम:- दिनेश जी
गाँव:- बिरगोदा
तहसील:- देपालपुर
जिला:- इंदौर
समस्या:- सोयाबीन फसल में जड़ सडन रोग
नियंत्रण:- जड़ सडन रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% या थायोफिनेट मिथाईल @ 50 ग्राम का स्प्रे करें|
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किसान का नाम:- हरिओम बहादुर सिंह
गाँव:- लिम्बोदापार
तहसील और जिला:- देपालपुर और इंदौर
किसान भाई हरिओम जी के चने में जड़ सडन एवं सफेद फफूंद की समस्या थी इन्होने प्रोपीकोनाज़ोल 25% EC का स्प्रे किया जिससे चने में रोग का प्रभाव कम हुआ एवं नया फुटाव भी आ रहा है |
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नियंत्रण :-संक्रमित पोधों को देख कर जल्दी से हटा दे | रोपण के लिए रोग मुक्त कलियों का उपयोग करे | लहसुन कलियों को गर्म पानी से उपचारित करने से संक्रमण 50% तक कम किया जा सकता है | रोपण के समय कलियों को मेन्कोजेब 2 ग्राम / ली. के घोल से उपचारित करे | खड़ी फसल मे 45 ग्राम प्रति पम्प कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 60% का स्प्रे व ड्रेनचिंग करे |
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