मूंग की फसल में राइज़ोबियम कल्चर का महत्व

Importance of Rhizobium culture in Moong crop
  • मूंग की जडों की ग्रंथिकाओं में राइज़ोबियम नामक जीवाणु पाया जाता है जो वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर फसल की उपज बढ़ाता है।
  • राइज़ोबियम कल्चर के इस्तेमाल से दलहनी फ़सलों की जड़ों में तेजी से गांठे बनती है जिससे मूंग, चना, अरहर व उड़द की उपज में 20-30 फीसदी व सोयाबीन की उपज में 50-60 फीसदी तक का इज़ाफा होता है।
  • राइजोबियम कल्चर के प्रयोग से भूमि में लगभग 30-40 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ जाती है।
  • राइजोबियम कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार तथा मिट्टी के उपचार बुआई पूर्व के लिए 1 किलो/एकड़ प्रति 50 किलो गोबर खाद में मिलाकर किया जाता है।
  • दलहनी फ़सलों की जड़ों में मौजूद राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा जमा की गई नाइट्रोजन अगली फसल में इस्तेमाल हो जाती है, जिससे अगली फसल में भी नत्रजन कम देने की आवश्यकता होती है।
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सोयाबीन की फसल में राइजोबियम कल्चर का महत्व

Importance of Rhizobium culture in soybean crop
  • सोयाबीन की जडों की ग्रंथिकाओं में राइज़ोबियम नामक जीवाणु पाया जाता है जो वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर फसल की उपज बढ़ाता है। परन्तु आज के दौर मिट्टी में अवांछनीय तत्वों की मात्रा इतनी बढ़ गयी है कि सोयाबीन की फसल में प्राकृतिक रूप से राइज़ोबियम का जीवाणु अपने क्षमता के अनुसार कार्य नही कर पाते है।  
  • इसलिए राइज़ोबियम कल्चर का उपयोग करने से सोयाबीन की पौधों की जड़ों में तेजी से गांठे बनती है तथा सोयाबीन की उपज में 50-60 फीसदी तक का इज़ाफा होता है।
  • राइजोबियम कल्चर के उपयोग से मिट्टी में लगभग 12-16 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ तक बढ़ जाती है। 
  • बीज उपचार के लिए राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज तथा मिट्टी के उपचार के लिए बुआई से पहले 1 किलो कल्चर प्रति 50 किलो सड़ी हुई गोबर खाद में मिलाकर किया जाता है। 
  • दलहनी फ़सलों की जड़ों में मौजूद राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा जमा की गई नाइट्रोजन अगली फसल में इस्तेमाल हो जाती है, जिससे अगली फसल में भी नत्रजन कम देने की आवश्यकता होती है।
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राइज़ोबियम कल्चर से बीज उपचार कैसे करे

  • 1 लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ डाल कर लगभग 15 मिनट तक गर्म करे और इसका घोल बनाएं 
  • घोल ठंडा होने पर इस में 3 पैकेट (600 ग्राम) राइजोबियम कल्चर मिलाएं और धीरे धीरे लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें| 
  • इस घोल को बीजों पर धीरे-धीरे इस तरह छिड़कना चाहिए कि घोल की परत सब बीजों पर समान रूप से चिपक जाए. 10 किलो बीज के लिए यह पर्याप्त है| 
  • हाथों में दस्ताने पहनकर बीजों को अच्छी तरह मिला कर इन बीजों को छायादार जगह पर सुखाएं| ध्यान रखें कि बीज आपस में चिपके नहीं|
  • उपचारित बीजों को शीघ्र ही बुवाई कर दे| 
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Advantage of rhizobium culture in crops

  • राइजोबियम कल्चर का उपयोग करने से यह पौधे में स्वस्थ गाँठों की संख्या को बढ़ाने में सहायक होता हैंं जिससे जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती हैंं|
  • इसके उपयोग से लगभग 15 से 20 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन का स्थिरीकरण प्रति फसल अवधि में हो जाता  हैंं।
  • ये जीवाणु वातावरणीय नाइट्रोजन ( जो पौधे के उपयोग नहीं कर सकते) को लेते हैंं और उसे अमोनियम (NH4 +) में परिवर्तित करते हैंं, जिसका उपयोग पौधे कर सकते हैंं।
  • इस जीवाणु के उपयोग से फसल की उपज में लगभग 10 से 15% वृद्धि प्राप्त की जा सकती हैंं।

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Use of Nitrogen fixing bacteria

नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु फायदेमंद जीवाणु हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर नाइट्रोजन (पौधों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अकार्बनिक यौगिक) में बदलने में सक्षम हैं। कुछ महत्वपूर्ण नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया जैसे कि राइज़ोबियम, एज़ोस्पिरीलियम, एज़ोटोबैक्टर आदि किसानों के द्वारा कल्चर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 5 ग्राम प्रति किलो बीज के अनुसार बीज उपचारित करे| या 2 किलो प्रति एकड़ गोबर की खाद में मिला कर दे|

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