कद्दूवर्गीय फसल का उत्पादन बढ़ाने में मददगार होती है मधुमक्खी

Know how a bee works as a good pollinator in pumpkin crops
  • ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत अधिक मात्रा में लगाई जाती हैं।
  • बदलते मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल के विकास के समय बहुत समस्या आती है।
  • मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • कद्दूवर्गीय फसल में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
  • मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है, जो पराग कणों को उठा लेते हैं। इसके बाद वे पराग कण को एकत्रित कर मादा फूलों तक पहुँचाते हैं।
  • मधुमक्खी इन फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
  • उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग का नियंत्रण कैसे करें?

pumpkin crop
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों की बीज को लगाएं।
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
  • मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग की पहचान कैसे करें?

  • इसके कारण पत्तियों की निचली सतह पर जल रहित धब्बे बन जाते हैं।
  • जब पत्तियों के उपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते है प्राय: उसी के अनुरूप ही निचली सतह पर भी जल रहित धब्बे बनते है।
  • जैसे-जैसे रोग बढ़ता हैं धब्बे पीले और भूरे रंग के हो जाते हैं।
  • ग्रसित लताओं पर फल नहीं लगते हैं। 
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