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यह बीज एवं मिट्टी जनित रोग है, इनसे संक्रमित बीज लगाने पर प्रारंभिक तौर पर डंपिंग ऑफ (बीज या अंकुर सड़ने से पौधे की मृत्यु) की समस्या आ सकती है।
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सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते हैं।
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बाद में ये धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते हैं।
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पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।
नियंत्रण के उपाय
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रोग सहनशील बीज किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
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बुआई पूर्व बीज को वीटावैक्स (थायरम + कार्बोक्सीन) 2 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करें।
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रोग का लक्षण दिखाई देने पर करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% WP) 400 ग्राम/एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
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अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
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