अच्छी बारिश के बाद बदलते परिवेश में किसानों के लिए उपयोगी कृषि सलाह

Useful advice for farmers in a changing environment after good rainfall

पिछले दिनों अच्छी वर्षा हुई है जिसकी वजह से खेतों में खरपतवार उगने शुरू हो गए होंगे। अतः जब खरपतवार अच्छी तरह उग जाए तो सभी किसान भाई इन्हें ट्रैक्टर के माध्यम से मिट्टी में पलट दें। ये काम आप बुआई के 4 से 5 दिन पूर्व करें।

इसके अलावा जब आप ट्रैक्टर चलाएं तो उससे पहले वेस्ट डी कंपोजर जो स्पीड कम्पोस्ट के नाम से उपलब्ध है की 4 किलो प्रति एकड़ की मात्रा 10 किलो यूरिया के साथ मिला कर खेत में बिखेर दें और फिर कल्टीवेटर चला कर खेत में मिला दें।

इसके साथ आप ट्रायकोडरमा को भी 2 किलो के हिसाब से मिला लें। ये लगने वाली फसल को ना सिर्फ बीमारियों से बल्कि कीटों से भी बचाने में मदद करेगा। ऐसी फसल जिसमें नेमाटोड का आक्रमण हो सकता है यह उससे भी बचाव करेगा।

ख़ास कर के मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए ये लाभ देने वाला कार्य होगा। इसके अलावा जिन्होंने ड्रिप लाइन बिछाई है वो पेराकवाट का स्प्रे कर ऊपर लिखे मिश्रण का उपयोग अवश्य करें।

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धनिया की फसल में उचित सिंचाई प्रबंधन से बढ़ाएं फसल की उत्पादकता

source- https://www.latiaagribusinesssolutions.com/2017/10/09/how-to-grow-coriander/
  • पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करनी चाहिए।
  • दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के चार दिन बाद करनी चाहिए।
  • इसके बाद प्रति 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग का नियंत्रण कैसे करें?

pumpkin crop
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों की बीज को लगाएं।
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
  • मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग की पहचान कैसे करें?

  • इसके कारण पत्तियों की निचली सतह पर जल रहित धब्बे बन जाते हैं।
  • जब पत्तियों के उपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते है प्राय: उसी के अनुरूप ही निचली सतह पर भी जल रहित धब्बे बनते है।
  • जैसे-जैसे रोग बढ़ता हैं धब्बे पीले और भूरे रंग के हो जाते हैं।
  • ग्रसित लताओं पर फल नहीं लगते हैं। 
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प्याज की फसल में कंद फटने की समस्या की रोकथाम कैसे करें?

  • एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
  • धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते हैं।
  • इसकी रोकथाम के लिए एक किलो 00:00: 50 प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
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प्याज की फसल में कंद फटने की समस्या के कारणों की करें पहचान

  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते हैं।
  • कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है।
  • प्रथम लक्षण कंद के फटने के बाद आधार पर दिखाई देते हैं।
  • प्रभावित कंद फटे उभार के रूप में आधार वाले भाग में दिखाई देते हैं।
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