मिर्च की फसल में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग के लक्षण

Bacterial leaf spot disease in Chilli crop
  • पहले लक्षण नए पत्तों पर छोटे पीले- हरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते है तथा ये पत्तियां विकृत और मुड़ी हुई होती है।  
  • बाद में पत्तियों पर छोटे गोलाकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले चिकने धब्बे दिखाती देते हैं। जैसे ही ये धब्बे आकार में बड़े होते है, इनमें बीच का भाग हल्का और बाहरी भाग गहरा हो जाता है। 
  • अंत में ये धब्बे छेदों में बदल जाते है क्योंकि पत्तों के बीच का हिस्सा सूख कर फट जाता है।  
  • गंभीर संक्रमण होने पर प्रभावित पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।
  • फलों पर गोल, उभरे हुए, पीले किनारों के साथ जलमग्न धब्बे बन जाते है। 
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मिर्च की फसल में वैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन कैसे करें?

How to manage scientific nursery in chili
  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.5 मीटर आकार की भूमि में करनी चाहिए तथा इसमें क्यारियां जमीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इकट्ठा होने से बीज व पौध सड़ न जाये।
  • एक एकड़ क्षेत्र के लिए 100 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता होती है। 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएं ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
  • बुआई के 8-10 दिन बाद एफिड व जैसिड कीट आने पर 10 ग्राम थाइमेथोक्सोम 25% WG 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तथा 20-22 दिन बाद दूसरा छिड़काव 5 ग्राम फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG को 15 लीटर पानी संग छिड़काव करें।
  • बुआई के 15-20 दिन बाद आर्द्र गलन की समस्या नर्सरी में आती है, अतः 0.5 ग्राम थियोफिनेट मिथाइल 70 WP का छिड़काव या डेंचिंग प्रति वर्ग मीटर करें या 30 ग्राम मेटालैक्सील 4% + मैंकोजेब 64% WP को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मिर्च में मोजेक वायरस की पहचान

image source - https://www.indiamart.com/proddetail/heavy-duty-agro-shade-net-house-15933969848.html
  • इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
  • इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
  • कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
  • यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
  • इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
  • इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
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