देश में आलू की उत्पादकता बढ़ाने में मध्यप्रदेश विशेष स्थान रखता है। हालांकि आलू की मांग के हिसाब से यहां उत्पादन की पूर्ती नहीं हो पा रही है। पारंपरिक पद्धति से खेती करने के बावजूद भी किसानों को सही उत्पादन और मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में एरोपोनिक पद्धति अपनाने से किसान बढ़िया उत्पादन और लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इसके तहत राज्य सरकार ने आलू उत्पादन की नई पद्धति ऐरोपोनिक पर काम करना शुरू कर दिया है। एरोपोनिक की मदद से किसानों की यह मुश्किल खत्म हो जाएगी क्योंकि इस पद्धति के जरिए आलू की खेती हवा में की जा सकेगी। यानि की आलू की खेती के लिए ज़मीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही एरोपोनिक की मदद से आलू के विभिन्न बीज किस्में भी तैयार की जा सकेंगी।
बता दें कि एरोपोनिक पद्धति में पॉली हाउस में खेती की जाती है। जहां आलू के पौधे हवा में उगाए जाते हैं और इनकी जड़ें नीचे अंधेरे में लटकती रहती हैं। फसल की सिंचाई नीचे की तरफ लगे फब्बारे से की जाती है। इस फब्बारे में पानी के साथ मिट्टी में पाए जानें वाले जरूरी न्यूट्रिएटंस मिलाए जाते हैं। इस तरह पौधे को धूप के साथ जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और हवा में ही इसका पूर्ण विकास होता है।
बहरहाल प्रदेश सरकार ने इसकी पहली यूनिट ग्वालियर में स्थापित करने के लिए काम शुरू कर दिए हैं। इसके माध्यम से राज्य में किसानों को आलू के विभिन्न बीज किस्म और एरोपोनिक पद्धति के बारे में जानकारी दी जाएगी। जहां इस पद्धति को अपनाने से किसानों को कई गुना उत्पादकता प्राप्त होगी और मुनाफा बढ़ेगा।
स्रोत: भास्कर
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