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- गुलाबी सुंडी या इल्ली कपास के पौधे की पत्तियों में सबसे पहले नुकसान पहुँचाना शुरू करती है।
- शुरूआती दौर में ये कपास के फूल पर पायी जाती है और फूल से परागकण खाना शुरू कर देती है।
- जैसे ही कपास का डेंडु तैयार होता है ये उसके अंदर चली जाती है और डेंडु के अंदर के कपास को खाना शुरू कर देती है।
- इस कारण कपास का डेंडु अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाता है और कपास में दाग लग जाता है।
- रासायनिक उपचार के रूप में इस इल्ली के नियंत्रण के लिए तीन छिड़काव बहुत आवश्यक है।
- पहला छिड़काव: बुआई के 40 से 45 दिन में फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- दूसरा छिड़काव: दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 13 से 15 दिन के बाद करें और इसके अंतर्गत क्युँनालफॉस 25% EC @ 300 मिली/एकड़ प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- तीसरा छिड़काव: यह छिड़काव दूसरे छिड़काव के 15 दिन बाद करें और इसके अंतर्गत नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में फेरोमेन ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है साथ ही बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ के तीन छिड़काव अवश्य करें।
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