बीते सालों में कृषि क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिला है। समय और श्रम दोनों की बचत के साथ पारंपरिक खेती ने आधुनिक खेती का रूप ले लिया है। आधुनिकता से जुड़कर किसान फल और सब्जियों की खेती के जरिए खूब मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं अगर इनका चयन सोच समझकर किया जाए तो, बंपर पैदावार के साथ बढ़िया कमाई की जा सकती है।
इन्हीं में से एक अनानास की फसल है। जिसकी खेती साल के बारह महीने होती है। ऐसे में इस फल की खेती करना फायदे का सौदा है। वैसे तो भारत में प्रमुख तौर पर आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में पारंपरिक रूप से अनानास की खेती की जा रही है। वहीं अब दूसरे प्रदेशों में भी अनानास की खेती होनी शुरू हो गई है।
खेती के लिए जरूरी जलवायु और मिट्टी
अनानास की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट होनी चाहिए। साथ ही इसकी बढ़िया पैदावार के लिए मिट्टी का पी.एच. स्तर 5 से 6 बीच में होना चाहिए। कहने का मतलब यह है कि अच्छी उपज के लिए पर्याप्त नमी और आर्द्रता के साथ गर्म जलवायु होना जरूरी है। बता दें कि ऐसे गर्म इलाकों में अनानास की खेती सालभर की जा सकती है। हालांकि बाकी इलाकों में साल में दो बार इसकी खेती की जा सकती है। पहली फसल जनवरी से मार्च महीने के बीच और दूसरी फसल मई से जुलाई महीने के बीच बोयी जा सकती है।
एक हेक्टेयर भूमि में एक बार में 16 से 17 हजार अनानास के पौधे लगाए जा सकते हैं। जिनसे करीब 3 से 4 टन फल प्राप्त होता है। जिसका बाजार में दाम 150 से 200 रूपए प्रति किग्रा होता है। वहीं अनानास का एक फल का वजन 2 किग्रा के करीब होता है। दूसरी ओर भारत के अनानास की दुनियाभर में भी खूब मांग है। ऐसे में किसान भाई एक बार में ही अनानास की खेती करके के बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।
स्रोत: वायएस
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