फसलों में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम कैसे करें?

फेरोमोन ट्रैप – फेरोमोन ट्रैप में अलग-अलग प्रजातियों के नर वयस्क कीटों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम रबर का ल्यूर (सेप्टा) लगाया जाता है। इसमें उसी प्रजाति के नर को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रसायन लगा होता है। आकर्षित नर पतंग ट्रैप में लगी प्लास्टिक की थैली में आने के बाद वहाँ फंसकर मर जाते हैं। फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग इल्लियों को ग़ैर-रासायनिक तरीके से खत्म करने का इकलौता तरीका है। 

जैविक कीटनाशक – विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों को जैविक कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जो फसलों के लिए घातक सूक्ष्म जीव, कीटों एवं इल्लियों पर नियंत्रण करते हैं। इनमें नीम, बबुल, सीताफल, धतूरा के बीज और पत्तियां, नीलगिरि, लैंटाना, तम्बाकू, और करंज की पत्तियां शामिल हैं। 

बर्ड पर्च – खेती में चिड़िया का बहुत महत्त्व है, प्रत्येक चिड़िया एक घंटे में 40 से 50 इल्लियां खा जाती हैं। इसे खेत में टी आकार की 8 से 10 खूटियां, फसल से ‘डेढ़ से दो’ फ़ीट की ऊंचाई पर लगाएं। 

ट्रैप फसल – ट्रैप फसल से विशेष गंध आती है, जिससे कीट उस फसल की ओर आकर्षित होते हैं। उदाहरण के लिए, सुआ में ऐसी गंध होती हैं, जो पत्तियां खाने वाली इल्लियों और पतंगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। जिससे कीट सुआ पर आ जाते हैं और मुख्य फसल बच जाती है, इसके लिए 12 लाइन मुख्य फसल की और 2 लाइन सुआ की डालें।

लेडीबर्ड बीटल – यह एक लाभदायक कीट है। इसे किसान एवं फसल का मित्र भी खा जाता है। एक वयस्क लेडीबग एक दिन में सैकड़ों एफिड्स और अपने जीवनकाल में हजारों का मार कर खा सकती है।

चिपचिपा जाल- कीट प्रकोप की सूचना के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप) और नीला चिपचिपे ट्रैप (ब्लू स्टिकी ट्रैप) @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब  से खेत में स्थापित करें।  यह रस चूसने वाले कीट (माहु, थ्रिप्स, जैसिड, सफ़ेद मक्खी) को आकर्षित करता है। जिसके आधार पर कीटनाशक अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकता है।

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जानिए, कपास की फसल में फेरोमोन ट्रैप क्यों लगाना चाहिए?

कपास, भारत की प्रमुख नकदी फसल है। इसे सफेद सोना भी कहते हैं। भारत में अनेक कीट-पतंगों और रोगों से कपास की पैदावार काफी कम मिलती है। कपास को अनेक किस्म की सुंडियों (पतंगों) से भी काफी नुकसान होता है। सुंडियों का प्रकोप उस वक़्त ज़्यादा होता है जब कपास के पौधे 50  से 65 दिन के हो जाते हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय है फेरोमोन ट्रैप, जबकि बाकी रोगों और कीटों के लिए अन्य उपचार मौजूद हैं।

फेरोमोन ट्रैप के इस्तेमाल से सुंडियों की रोकथाम करके कपास के प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

फेरोमोन ट्रैप क्या है:- फेरोमोन ट्रैप में अलग-अलग प्रजातियों के नर वयस्क कीटों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम रबर का ल्यूर (सेप्टा) लगाया जाता है। इसमें उसी प्रजाति के नर को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रसायन लगा होता है। आकर्षित नर पतंग ट्रैप में लगी प्लास्टिक की थैली में आने के बाद वहाँ फंसकर मर जाते हैं। फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग सुंडियों को ग़ैर-रासायनिक तरीके से खत्म करने का इकलौता तरीका है।

फेरोमोन ट्रैप से जुड़ी सावधानियां:-

  • ट्रैप में उपयोग होने वाले ल्यूर (सेप्टा) को 15 दिनों के बाद अवश्य ही बदलें।

  • ल्यूर बदलने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह अवश्य धो लें।

  • हर रोज़ सुबह लगाये गये सभी ट्रैप का निरीक्षण करें और फंसे हुए पतंगों का निरीक्षण करने के बाद ही उन्हें नष्ट करें, और सुझाये गये कीटनाशक का छिड़काव करें।

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Management of Gram Pod Borer in Soybean

  • वयस्क कीट के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 3-4/एकड़ का उपयोग करें |
  • पहला स्प्रे प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 300 मिली/एकड़ + क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी @ 500  मिली/एकड़ |
  • दूसरा स्प्रे प्रोफेनोफोस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ + इमामैटिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80-100 ग्राम / एकड़ | 
  • तीसरा स्प्रे इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80 -100 ग्राम/एकड़ + फेन्प्रोप्रेथ्रिन 10% ईसी @ 250-300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80-100 ग्राम/एकड़ + डेल्टामेथ्रिन @ 150 मिली/एकड़ |  
  • चौथा स्प्रे क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 9.3% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% जे सी@100 मिली/एकड़ या थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 1 लीटर या किलो/एकड़ की दर से स्प्रे करे 

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How to protect Brinjal from Fruit Borer

  • इस कीट के द्वारा नुकसान रोपाई के तुरन्त बाद से लेकर अंतिम तुड़ाई तक होती है।
  • यह उपज को 70% तक कम कर सकता है।
  • गर्म वातावरणीय दशा में फल एवं तना छेंदक इल्ली की संख्या में अधिक वृद्धि होती है।
  • प्रारंभिक अवस्था में छोटी गुलाबी इल्ली टहनी एवं तने में छेंद  करके प्रवेश करती है। जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सूख जाती है।
  • बाद की अवस्था में इल्ली फलों में छेंद कर प्रवेश करती है और गूदे को खा जाती है।

प्रबंधन:

  • फेरोमोन ट्रैप @ 5/एकड़ की दर से खेत में लगाईये |
  • एक ही खेत में लगातार बैंगन की फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाये।
  • छेद हुये फलों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • कीट को नियंत्रित करने के लिए रोपाई के 35 दिनों के बाद से पखवाड़े के अंतराल पर साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 300ml/एकड़ या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% ईसी @ 200-250 ml/एकड़ की दर फसल पर छिड़काव करें।
  • कीट के प्रभावशाली रोकथाम के लिये कीटनाशक के छिड़काव के  पूर्व छेंद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें।

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Kasie bachaein baigan ko fruit borer se

  • इस कीट के द्वारा नुकसान रोपाई के तुरन्त बाद से लेकर अंतिम तुड़ाई तक होती है।
  • यह उपज को 70% तक कम कर सकता है।
  • गर्म वातावरणीय दशा में फल एवं तना छेंदक इल्ली की संख्या में अधिक वृद्धि होती है।
  • प्रारंभिक अवस्था में छोटी गुलाबी इल्ली टहनी एवं तने में छेंद  करके प्रवेश करती है। जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सूख जाती है।
  • बाद की अवस्था में इल्ली फलों में छेंद कर प्रवेश करती है और गूदे को खा जाती है।

प्रबंधन:

  • फेरोमोन ट्रैप @ 5/एकड़ की दर से खेत में लगाईये |
  • एक ही खेत में लगातार बैंगन की फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाये।
  • छेद हुये फलों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • कीट को नियंत्रित करने के लिए रोपाई के 35 दिनों के बाद से पखवाड़े के अंतराल पर साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 300ml/एकड़ या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% ईसी @ 200-250 ml/एकड़ की दर फसल पर छिड़काव करें।
  • कीट के प्रभावशाली रोकथाम के लिये कीटनाशक के छिड़काव के  पूर्व छेंद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें।

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Control of fall armyworm in Maize

हानि:-

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • लाईट ट्रेप लगाए |
  • 5 प्रति एकड़ मादा की खुशबु वाले फेरोमोन ट्रेप सेट लगाए |
  • ईल्ली दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें|
  • एमामेक्टीन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम प्रति एकड़
  • फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़
  • क्लोरोपाइरीफॉस 50% EC @ 400 मिली प्रति एकड़

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