Requirement of Irrigations in Pea

मटर के लिए आवश्यक सिंचाई:-

  • यदि भूमि सूखी हो तो अच्छी तरह से बीजांकुर होने के लिये बोने पूर्व सिंचाई करें ।
  • भूमि के प्रकार व मौसमानुसार 10 से 15 के अंतर से सिंचाई करना चाहिये ।
  • फल एवं फल्ली आने के समय नमी की कमी होने पर उपज में कमी आती है अंतः इस समय सिंचाई अवश्य करें ।

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Spacing and Seed Rate of Pea

मटर की दूरी एवं बीज दर:-

  • मटर को कतार से कतार में 30 से.मी. तथा बीज से बीज 10 से.मी. की दूरी पर बोना चाहिये ।
  • बीज को 2-3 से.मी. गहरी  बोना चाहिये ।
  • लगभग 100 कि.ग्रा.  बीज/हेक्टर पर्याप्त होता है ।

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Suitable climate for pea cultivation

मटर के लिए उपयुक्त जलवायु:-

  • मटर को अलग-अलग मौसम में विभिन्न कृषि जलवायु में उत्पादन कर सकते है।
  • मटर को ठंडे व सूखे मौसम की आवश्यकता होती है।
  • ज्यादा समय तक ठंड रहने पर इसकी उपज बढ़ जाती है|
  • 15-20 डिग्री से. तापमान  मटर की फसल के लिये अच्छा है।

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Management of Pea Pod Borer

मटर में फली छेदक:- इस कीट की ईल्ली फूलों की पंखुड़ी और डंठल खाता है। एक ईल्ली कई फूलों के डंठल को नुकसान पहुंचाती हैं| शुरुआत में ईल्ली पत्तियाँ खाती है फिर डंठल के मूल भाग में छेद करके फली में घुस जाती है तथा फली को अन्दर से खाती है |

प्रबंधन:- गर्मियों में गहरी जुताई करे जिससे जमीन में छिपे कीड़े को प्राकृतिक शिकारी खा सके|  फसल के चारो ओर टमाटर सुरक्षा फसल के रूप में लगाए| महत्वपूर्ण अंतर फसलों जैसे मक्का, लोबिया और बैगन का उपयोग कीट आबादी को कम करने में मदद करता है। खेत में पक्षी बैठने की व्यवस्था करें। 0.5%  जिगरी और 0.1% बोरिक एसीड के साथ HaNVP 100 LE प्रति एकड़ की दर से अंडा सेने की अवस्था पर छिडकाव करे और 15-20 दिनों में दोहराएं। रसायनों के उपयोग में 2.00 मिलीलीटर प्रोपेनोफॉस 50 ईसी प्रति लीटर पानी अंडानाशक के रूप में लेना चाहिए। फेरोमेन ट्रेप का उपयोग करे 4-5 ट्रेप प्रति हेक्टयर | शुरुआती अवस्था में नीम बीज करनाल सत 5% का स्प्रे करे | यदि संक्रमण अधिक होतो इंडोक्साकार्ब 14.5% SC 0.5 मिली या स्पिनोसेड 45% SC 0.1 मिली या 2.5 मिली क्लोरोपाईरीफास 20 EC प्रति ली. पानी के अनुसार छिडकाव करे |

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Nutrient Management in Pea

मटर में पोषक तत्व प्रबंधन:-

बुआई के समय  30 किलो नाईट्रोजन प्रति हेक्टेयर की आधारीय खुराक प्रारंभिक वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त होती है। नाईट्रोजन की अधिक मात्रा ग्रंथियों के स्थिरीकरण पर बुरा प्रभाव डालती है |फसल फास्फोरस प्रयोग को अच्छी प्रतिक्रिया देती है क्योंकि यह जड़ में ग्रंथ गठन को बढ़ाकर नाइट्रोजन निर्धारण का समर्थन करता है। इससे मटर की उपज और गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।पौधे की उपज और नाइट्रोजन निर्धारण क्षमता बढ़ाने में पोटेशिक उर्वरकों का भी प्रभाव होता है।

सामान्य अनुशंसा :-

उर्वरको के प्रयोग की सामान्य अनुशंसा निम्न बातों पर निर्भर करता है-

  • मृदा उर्वरकता एवं दी जाने वाली कार्बनिकखाद/गोबर खाद की मात्रा |
  • सिंचाई की स्तिथि:- वर्षा आधरित या सिंचित
  • वर्षा आधारित फसल में उर्वरको की मात्रा आधी दी जाती है |

कितनी मात्रा में दे, कब देना हे-

  • मटर की भरपूर पैदावार के लिए 10 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम डी.ए.पी, 15 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ  पोटाश और 6 किलोग्राम सल्फर 90% डब्लू.जी. को प्रति एकड़ प्रयोग करते है|
  • खेत की तैयारी के समय यूरिया की आधी मात्रा एवं डी.ए.पी, म्यूरेट ऑफ पोटाश और सल्फर की पूरी मात्रा को प्रयोग करते है| एवं शेष बची हुई यूरिया की मात्रा को दो बार में सिंचाई के समय देना चाहिए|

Source: IIVR, VARANASI and Handbook Of Agriculture

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Manures and fertilizers in Peas

सामान्यतः 20 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद बुवाई के लगभग 1.5 माह पूर्व खेत में मिला देना चाहिये | 25 किग्रा नाइट्रोजन 70 किग्रा फास्फोरस 50 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिये| उर्वरको का मिश्रण बना के बुवाई के समय ही बीज की कतार से 5 सेमी. बगल से तथा 5 सेमी. बीज की सतह के नीचे कूंड में देना चाहिए|

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Management of Stem fly in Pea

कीट प्रकोप से बचने के लिए के लिए मध्य अक्टूबर से पहले फसल की बुवाई करे । प्रकोप के प्रारंभिक दौर के दौरान सभी प्रभावित शाखाओं को निकालें और नष्ट करें। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में कीट की क्षति से बचने के लिए फसल की बुआई। बुवाई के समय 7.5 किलोग्राम फोरेट 10 जी या 25 किलो कार्बोफुरन 3 जी प्रति हेक्टेयर दे। फसल पर, ऑक्सीडमेटन मेथाइल 25 ईसी 750 मिलीलीटर प्रति 750 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर में का स्प्रे तीन बार करें। पहला छिड़काव अंकुरण के बाद और दूसरे दो दो सप्ताह के अंतराल पर होना चाहिए।

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Pea seed rate and sowing

मटर की बीजदर तथा बुवाई:- बीज दर :- अगेती के लिए – 100 से 120 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| मध्य तथा देर के लिए 80-90 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिये| बीजोपचार: बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोने से मटर की अधिक उपज मिलाती है| भूमि उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है| बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिएI बोने का समय:- इसकी बुआई अक्टूवर से नवम्बर महीने के बीच की जाती है|

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