पपीते की फसल में पर्ण कुंचन रोग की पहचान व कारण

Know the cause and identity of leaf curl disease in Papaya crop
  • पर्ण-कुंचन (लीफ कर्ल) रोग के लक्षण केवल पत्तियों पर दिखायी पड़ते हैं। रोगी पत्तियाँ छोटी एवं क्षुर्रीदार हो जाती हैं। 
  • पत्तियों का विकृत होना एवं इनकी शिराओं का रंग पीला पड़ जाना रोग के सामान्य लक्षण हैं। 
  • रोगी पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं और फलस्वरूप ये उल्टे प्याले के अनुरूप दिखायी पड़ती है जो पर्ण कुंचन रोग का विशेष लक्षण है। 
  • पतियाँ मोटी, भंगुर और ऊपरी सतह पर अतिवृद्धि के कारण खुरदरी हो जाती हैं। रोगी पौधों में फूल कम आते हैं। रोग के प्रभाव से पतियाँ गिर जाती हैं और पौधे की बढ़वार रूक जाती है।
Share

रोपण के समय कैसे रखें पपीते की पौध को स्वस्थ?

How to keep papaya seedlings healthy while planting
  • खेत को अच्छी तरह से जोत कर समतल करें तथा इसके लिए भूमि का हल्का ढाल सबसे उत्तम है।
  • 2 X 2 मीटर की दूरी पर 50 X 50 X 50 (लम्बाई, चौड़ाई व गहराई) सेमी आकार के मई महीने में खोद कर 15 दिनों तक खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि तेज गर्मी और धुप से हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु नष्ट हो जाएँ।
  • इन गड्ढों में 20 किलो गोबर खाद, आधा किलो सुपर सुपर फास्फेट, 250 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के 10-15 दिन पहले भर दें।
  • पौधे जब 15 सेमी के हो जाएँ तब उन्हें गड्ढों में लगाकर हल्की मात्रा में पानी देना चाहिए।
Share

Suitable climate and soil for Papaya Farming

पपीता की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु –

  • पपीता उष्णकटिबंधीय फसल होने के कारण उच्च तापमान और अधिक आर्द्रता वाला मौसम पसंद करता है |
  • यह ठंड और तूफान के लिए बहुत संवेदनशील है।
  • अधिक लम्बे दिन पपीते के स्वाद और गुणवत्ता को बढ़ाता है|
  • फूलों के दौरान, अधिक बारिश हानिकारक होती है और भारी क्षति का कारण बनती है।

मिट्टी-  

  • पपीता विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है|
  • हालांकि, बहुत उथली और बहुत गहरी काली  मिट्टी उपयुक्त नहीं हैं|
  • अच्छे जल निकास वाली एवं चूना रहित मृदा पपीता के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है |  

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share