जानिए, धान की रोपाई करते समय खेत को मचाना क्यों जरूरी है?

धान की खेती गहरे पानी में की जाती है। धान के पौधों की रोपाई से पहले पडलिंग (Puddling) की प्रक्रिया बेहद जरुरी होती है। यह एक तरह से खेत की गीली जुताई होती है। इसके लिए खेत की अंतिम जुताई के बाद खेत में पानी भरकर देशी हल, प्लाऊ या कल्टीवेटर की मदद से मिट्टी को अच्छी तरह मथा जाता है। इससे मिट्टी नरम हो जाती है तथा रोपाई में आसानी होती है। पडलिंग की प्रक्रिया से पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। वहीं मिट्टी की उर्वरक क्षमता में इजाफा होता है।

धान की खेती के लिए पडलिंग का महत्व

  • यह खेत की तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

  • भूमि में कीचड़ मचाने की प्रक्रिया से मिट्टी की गुणवत्ता में स्थायी सुधार होता है। 

  • इससे वर्षा के जल के संरक्षण में मदद मिलती है एवं सिंचाई के जल को कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।

  • पडलिंग से मिट्टी के कटाव में कमी आती है। इससे पौधों के स्थापित होने में मदद मिलती है। मिट्टी के पडलिंग से धान की रोपाई में सटीकता आती है। 

  • इस प्रक्रिया से, मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है तथा पौधों को समान मात्रा में सिंचाई का जल मिलता है।

  • खरपतवार नियंत्रण रहता है।

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