- निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
- निमाटोड मिट्टी के अंदर रहकर फसल की जड़ों में गाठ बनाकर रहता है एवं फसल को नुकसान पहुँचाता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे अच्छा समाधान होता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए मिट्टी उपचार करना सबसे अच्छा उपाय है।
- रासायनिक उपचार के रूप में कारबोफुरान 3% GR @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
- फसल की बुआई के पूर्व 50-100 किलो FYM में पेसिलोमायसीस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) @ 1 किलो/एकड़ की दर से मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
- जब भी इस उत्पाद का उपयोग किया जाये तब इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
निमेटोड क्या है?
- निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
- फसल के लिए यह परजीवी की तरह होता है, यह मिट्टी में या पौधों के ऊतकों में रहते हैं एवं पौधे की जड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं।
- इसके प्रकोप के कारण पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं एवं पौधा मुरझा जाता है जिसके कारण पौधे में फल नहीं लगते हैं।
- इसके प्रकोप का सबसे मुख्य लक्षण पौधों की जड़ में देखने को मिलता है और जड़ें सीधी ना होकर आपस में गुच्छा बना लेती हैं एवं जड़ों में गांठे दिखाई देती हैं।
- इसका प्रकोप सभी फसलों पर होता है और इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे कारगर उपाय माना जाता है।
बैंगन की फसल में सूत्रकृमि (निमाटोड) का प्रकोप
- मिट्टी में रहने वाले सूत्रकृमि के कारण बैंगन के पौधों की जड़ों में गांठे बन जाती है।
- इसका प्रकोप होने पर पौधें की जड़ पोषक तत्व अवशोषित नहीं कर पाती है। इस कारण फूल और फलों की संख्या में कमी आती है।
- पत्तियां पीली पड़कर सुकड़ने लगती है और पूरा पौधा बौना रह जाता है।
- अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है।
- जिस खेत में यह समस्या होती है वहाँ 2-3 साल तक बैंगन, मिर्च और टमाटर की फसल न लगाए।
- रोगग्रस्त खेत में गर्मी में गहरी जुताई अवश्य करें।
- बैंगन की फसल की 1-2 कतार के बीच गेंदा लगा दें।
- कार्बोफ्यूरान 3% दानों को रोपाई पूर्व 10 किलो प्रति एकड़ की दर से मिला दें।
- निमाटोड के जैविक नियंत्रण के लिए 200 किलो नीम खली या 2 किलो वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम या 2 किलो पैसिलोमयीसिस लिलसिनस या 2 किलो ट्राइकोडर्मा हरजिएनम को 100 किलो अच्छी सड़ी गोबर के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से भूमि में मिला दें।
How to protect Crop from nematode
- निमेटोड से ग्रसित पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता तथा वृद्धि रुक जाती है जिससे पौधा छोटा ही रहता हैं तथा फलन पर प्रभाव पड़ता हैं |
- निमेटोड जड़ों पर हमला करता है और जड़ो पर छोटी छोटी गठान बना देता हैं।
- संक्रमित पौधे में मुरझाने के लक्षण दिखाई देते हैं |
- जड़ो में गाठे बनने की वजह से जड़ो को मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्वों तथा पानी की उपलब्धता कम हो जाती हैं परिणाम स्वरूप पौधे मर जाते हैं |
- कार्बोफ्युरोन 3% G @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
- नीम खली 80 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
- पेसिलोमाइसेस स्पी. 1% डब्ल्यूपी,
- बीज उपचार के लिए 10 ग्राम/किलो बीज,
- नर्सरी उपचार के लिए 50 ग्राम/वर्ग मीटर,
- 2 किलो/एकड़ जमीन से देना चाहिए |
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- संक्रमित जड़ो में गांठे बन जाती हैं और अनिश्चित आकार में पूरी जड़ पर फैल जाती हैं।
- इसके नियंत्रण के लिए स्वस्थ एवं रोग रहित बीजो का चुनाव करे |
- खेत में प्रयोग की जा रही मशीनों और औजारों को अच्छे से साफ़ करे |
- धनिया की फसल में खरपतवार का उचित प्रबंधन करें।
- जिस खेत में यह रोग आने की सम्भावना हैं वहाँ गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें और खेत को तेज धूप में खुला छोड़ दें |
- जब संक्रमण पौधे पर होता है तो ड्रिप सिंचाई के द्वारा 2-4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पैसीलोमाईसिस लीलासिन्स से जैविक नियंत्रण करें।
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ShareStem and bulb nematode in Onion and Garlic
प्याज एवं लहसन में तना और कंद सुत्रकृमी:- नेमीटोड रंधो या पौधे के घावों के माध्यम से प्रवेश करती है और पौधों में गांठने या कुवृद्धि पैदा करती है। यह कवक और जीवाणु जैसे माध्यमिक रोगजनकों के प्रवेश द्वार के लिए स्थान देता है। इसके लक्षणों में वृद्धि अवरुद्ध हो जाना, कंदों में रंग हीनता और सूजन पैदा होती है।
प्रबंधन:- ·
- कंद जो रोग के लक्षण दिखाते हैं वह बीज के लिए नहीं रखना चाहिए।·
- खेतों और उपकरणों का उचित स्वच्छता आवश्यक है क्योंकि यह निमेटोड संक्रमित पौधों और अवशेषों में जीवित रहता है और पुन: उत्पन्न कर सकता है।·
- नेमीटोड के बेहतर नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3% दानेदार @ 10 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|·
- नेमीटोड के कार्बनिक नियंत्रण के लिए नीम खली @ 200 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|
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