मुर्रा भैंस की खरीदी पर पाएं 75% का अनुदान, जानें योजना से जुड़े बाकी लाभ

देश में खेती और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के बाद पशुपालन को आय का दूसरा बेहतर साधन माना जाता है। पशुपालन के जरिए दूध प्राप्त करने के अलावा, किसान इनके मल का प्रयोग प्राकृतिक खाद बनाने में कर सकते हैं। 

हालांकि सभी किसान आर्थिक तंगी के चलते पशु खरीदने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार राज्य के किसानों को मुर्रा भैंस की खरीद पर 50% की सब्सिडी प्रदान कर रही है, ताकि हर तबके का किसान पशुपालन के जरिए अपनी आय का साधन जुटा सके।

योजना में क्या है खास?

इस योजना के अनुसार प्रदेश सरकार पड़ोसी राज्य हरियाणा से मुर्रा भैंसों को मंगवा रही है, जिन्हें 50% की छूट के साथ पशुपालकों को बेचा जाएगा। इसके अलावा एसटी और एससी वर्ग के पशुपालकों को 75% तक की छूट दी जाएगी। इस योजना के तहत पालक अधिकतम दो भैंस खरीद सकते हैं, इनमें से एक गर्भवती और दूसरी बच्चे के साथ दी जाएगी। हांलाकि शर्त यह भी है कि भैंस खरीदने के बाद इन्हें कम से कम पांच साल तक अपने पास रखना अनिवार्य होगा। 

मुर्रा भैंस की विशेषता

दुग्ध उत्पादन में मुर्रा भैंस सबसे अच्छी नस्ल मानी जाती है। मुर्रा भैंस एक दिन में 12 से 15 लीटर तक दूध देती है। खासतौर पर यह नस्ल पंजाब और हरियाणा में पायी जाती है। हरियाणा में इसे ‘काला सोना’ तक कहा जाता है। एक मुर्रा भैंस की कीमत करीब एक लाख रूपए है, जिन्हें मध्यप्रदेश सरकार अपनी राज्य की जनता को आधे से भी कम दाम पर उपलब्ध करा रही है।

स्रोत: कृषि जागरण

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50% पर सब्सिडी पर खरीदें मुर्रा भैंस, जानें योजना से जुड़े कई लाभ

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने भैंस खरीदने पर अनुदान देने का ऐलान किया है। इस योजना के तहत मुर्रा भैंस खरीदने पर राज्य सरकार की ओर से 50% का अनुदान दिया जाएगा। वहीं राज्य में मुर्रा प्रजाति की कमी के चलते इन्हें हरियाणा से मंगवाया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत केवल छोटे किसानों को 50% की सब्सिडी पर दो मुर्रा भैंस उपलब्ध कराई जाएंगी। जिसमें एक भैंस प्रैग्नेंट और दूसरी बच्चे के साथ दी जाएगी, ताकि दूध मिलने का क्रम बना रहे और किसान की कमाई का ज़रिया बंद न हो।

इसके अलावा अगर तीन साल के अंदर भैंस मरती है तो, सरकार की ओर से भैंस मुफ़्त दी जाएगी। इतना ही नहीं, भैंस के आहार के लिए छह महीने का दाना-चारा भी दिया जाएगा, ताकि किसान को किसी तरह की समस्या न हो। 

इन भैंसों को गर्भवती करने के लिए सेक्स सार्टेड सीमन का उपयोग किया जाएगा। जो कि सिर्फ मुर्रा बुल का ही होगा। इसकी खास बात यह होगी कि इससे सिर्फ फीमेल भैंस ही पैदा होंगी। बता दें कि एक मुर्रा भैंस रोजाना 12 से 15 लीटर दूध देती है, जो कि एक छोटी सी डेयरी के लिए काफी है।

इस स्कीम के माध्यम से किसान को ढाई लाख की दो भैंस केवल 62 हजार 500 में मिल जाएंगी। राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य छोटे किसानों की आर्थिक मदद करने के साथ दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार के अनुसार यह प्रोजेक्ट अगस्त से शुरू हो सकता है।

स्रोत:  कृषि जागरण

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