How to Take care of insect pests & diseases at bud initiation stage of mungbean

    • मूंग की फसल का अधिक उत्पादन लेने के लिए कीट एवं बीमारियों का प्रबंधन करना अति आवश्यक हैं |
    • कीट और बीमारियों से मूंग की फसल में लगभग 70 % तक उत्पादन में नुकसान हो सकता हैं |
    • गर्मियों के मौसम में, फुल व फली बनते समय, फल की इल्ली, तम्बाकू की इल्ली आदि  नुकसान पहुँचाते हैं |
    • मूंग भी बाक़ी फलियों वाली फसल की तरह, फफूंद,जीवाणु और वायरस द्वारा होने वाले रोगों के प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं।पत्तियों,तने एवं जड़ पर झुलसा रोग, पीलापन और जड़ सडन के लक्षण फसल की बढती हुई अवस्था पर देखे जा सकते हैं |
    • कीटो के प्रभावी नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफोस 36% एसएल @ 300 मिली/एकड़,  इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ (फली की इल्ली के लिए) तथा फ्लुबेंडामाइड  20% डब्लू जी 100 ml/एकड़ या इंडोक्साकारब 14.5 % एस सी @ 160-200 ml/एकड़ (तंबाकू की इल्ली के लिए ) के लिए कर सकते हैं |
    • रोग नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम/ एकड़ (झुलसा रोग के लिए) और थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू पी @ 250-300 ग्राम प्रति एकड़ ( मिटटी जनित रोगो के लिए ) का उपयोग करें।

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Virus problem and solution in mungbean

  • मूँग की फसल के विकास के दौरान, वायरस द्वारा पीला मोज़ेक, चुर्रा-मुर्रा और पत्ती का कुंचन रोग के लक्षणों को देखा जा सकता है।
  • पौधे की उम्र और रोग के लक्षणों की शुरुआत के आधार पर वायरस द्वारा मूँग में अनाज की पैदावार में  2-95% तक की कमी हो सकती है।
  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए बुवाई के 15 दिन बाद थायमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी @ 60-100 ग्राम प्रति एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करे या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली  प्रति एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करे

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