- बीज उपचार करने से बीज जनित तथा मिट्टी जनित बीमारियों को आसानी से नियंत्रित कर फसल के अंकुरण को भी बढ़ाया जा सकता है।
- बीज उपचार के तौर पर कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से मिट्टी में पायी जाने वाली हानिकारक कवकों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
- इसके जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें। या
- जैविक उपचार के लिए सूडोमोनास फ्लोरोसेंस 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
मूंग समृद्धि किट में पाए जाने वाले उत्पादों की उपयोगिता
ग्रामोफोन के इस बहुउपयोगी मूंग समृद्धि किट में निम्न उत्पाद है
- इंक्रील: यह उत्पाद समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड जैसी प्राकृतिक रूप से उपलब्ध तत्वों का संयोजन है। यह जड़ों के विकास तथा प्रकाश संश्लेषण को बढाकर फसल का बेहतर विकास करता है।
- ट्राइको शील्ड कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। जिससे फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे रोगों से रक्षा होती है।
- कॉम्बिमेक्स: यह उत्पाद दो अलग अलग प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु का मिश्रण है जो मूँग की फसल के लिए आवश्यक तत्व पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता को बढ़ाने में मदद करता है एवं फसल के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक है।
- जय वाटिका राइज़ोबियम: यह बैक्टीरिया दलहनी फ़सलों की जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर कर फ़सलों को उपलब्ध अवस्था में मिलता है।
मूंग समृद्धि किट के इस्तेमाल को लेकर किसानों के अनुभवों को जानने के लिए यह वीडियो देखे-
Shareग्रामोफ़ोन मूंग समृद्धि किट के संग करें मूंग की उन्नत खेती
- मूंग समृद्धि किट में सम्मिलित सभी उत्पाद जैविक होने के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना मिट्टी की संरचना को सुधारते हैं।
- यह किट मिट्टी में उपस्थित लाभकारी जीवों की संख्या और पौधों के पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने का कार्य करते हैं।
- मूंग समृद्धि किट से हानिकारक कवकों को नष्ट करने और जड़ों के विकास आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्य को करने में बहुत मदद करते हैं।
- यह किट फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे रोगों से रक्षा करता है।
- यह किट जड़ों में राइजोबियम बढाकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है।
मूंग समृद्धि किट के इस्तेमाल को लेकर किसानों के अनुभवों को जानने के लिए यह वीडियो देखे-
Shareभूमि व बीज उपचार से बढ़ाएं जायद मूंग की पैदावार
भूमि उपचार: मूंग की फसल हेतु कृषि प्रक्रिया आरंभ करने से पहले भूमि उपचार अति आवश्यक है। इससे भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट व कवकों को नष्ट किया जा सके।
6-8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 4 किलो कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया और 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिडी मिला कर एक एकड़ खेत में बिखेर दे।
बीज उपचार: मूंग की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए बीज उपचार बहुत फ़ायदेमंद होता है। इससे हानिकारक कवकों व रस चूसक कीट से बचाव हो जाती है।
मूंग के बीजो में (1) 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी/स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस तथा 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48 FS प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
Shareमूंग की फसल में एफिड कीट का प्रबंधन
- एसिटामाप्रिड 20% एसपी @ 40-80 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करने पर भी इस कीट का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता।
- कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें या
- बिलीफ (थाइमिथोक्सम 12.6% + लेम्ब्डासाइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
- एफिड कीट (माहू) के संक्रमण को कम करने के लिए पौधे के संक्रमित भागों को हटा दें।
- फ़सलों को अधिक पानी या अधिक खाद न दें।
मूंग की फसल में एफिड कीट (माहू) की पहचान
- एफिड कीट (माहू) के आक्रमण से पत्तिया पीली हो कर सिकुड़ जाती हैं एवं कुछ समय बाद सूख जाती हैं जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।
- संक्रमण की शुरूआती अवस्था में पत्तियों पर फफूंद का विकास दिखाई देता है।
- माहू द्वारा चिपचिपा स्राव किया जाता है जिसकी वजह से पौधे में कई फफूंद जनित रोग पैदा होते हैं।
- सूखी और गर्म जलवायु माहू कीट की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है।
मूंग की फसल हेतु भूमि की तैयारी के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है ‘मूंग समृद्धि किट’
- इस किट में वो सभी आवश्यक तत्व शामिल किये गए हैं जो की मूंग की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आवश्यक होते हैं।
- इस ‘मूंग समृद्धि किट’ में कई प्रकार के लाभकारी जीवाणु मौजूद रहते हैं।
- इन जीवाणुओं में पोटाश एवं फॉस्फोरस के बैक्टीरिया, ट्रायकोडर्मा विरिडी, हुमीक सीवीड एवं राइजोबियम बैक्टीरिया प्रमुख हैं।
- इन सभी सूक्ष्म जीवाणुओं को मिलाकर यह किट तैयार की गयी है ।
- इस किट का कुल वज़न 6 किलो है जिसका प्रति एक एकड़ की दर से उपयोग किया जाता है।