जानिए, मिर्च की खेती में मल्चिंग के फायदे

👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की खेती में लगायी गयी फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारों ओर घास या प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है, जिसे मल्चिंग कहते है।

मल्चिंग (पलवार) दो प्रकार की होती है, जैविक एवं प्लास्टिक मल्च l 

प्लास्टिक मल्चिंग विधि:- जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है तो, इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है l इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है l बता दें कि यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।

 जैविक मल्चिंग विधि:- जैविक मल्चिंग में पराली पत्तों इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। यह बहुत ही सस्ती होती है। इसका उपयोग प्रायः जीरो बजट खेती में भी किया जाता है। पराली को न जलाएं बल्कि इसका उपयोग मल्चिंग में करें। मल्चिंग में इसका उपयोग करने से आपको पराली की समस्या से निजात के साथ अधिक उपज प्राप्त होगी।

 लाभ:-  मृदा में नमी संरक्षण एवं तापमान नियंत्रण में सहायक, हवा एवं पानी से मिट्टी का कटाव कम करना, पौधों के वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना, उत्पादकता में सुधार, भूमि की उर्वरा शक्ति एवं स्वास्थ्य में सुधार, खरपतवारों की वृद्धि को रोकना।

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मल्चिंग का ऐसे करें उपयोग, फसलों को मिलेंगे कई लाभ

mulching benefits

खेत में लगायी गयी फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारो और घास या फिर प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है इसी को मल्चिंग कहा जाता है।

मल्चिंग दो प्रकार की होती है

प्लास्टिक मल्चिंग विधि: जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है। इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है। बता दें कि यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।

घास मल्चिंग विधि: इस विधि में खेत से निकले बीज़ रहित घास को पौधो के चारों तरफ बिछा दिया जाता है जिससे तेज़ रौशनी एवं कम पानी में भी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

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