आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 1 से 2 दिनों में -फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी 40 किग्रा, एमओपी 20 किग्रा + पीके बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + राइजोबियम (जैवटिका आर) 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड + समुद्री शैवाल + अमीनो + माइक्रोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं|

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कैसे करें मूंग की फसल का पीले मोजेक रोग से बचाव?

Control of Yellow Vein Mosaic disease in Mung bean Crop
  • यह वायरस जनित रोग है जिसमें पत्तियां पीली पड़कर मुड़ जाती हैं।
  • इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती है।
  • यह रोग रसचूसक कीट सफेद मक्खी से फैलता है।
  • इससे नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मूंग की उन्नत किस्मों की जानकारी

Information of improved varieties of Moong bean

शक्तिवर्धक विराट: मूंग की यह किस्म 70-80 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसका पौधा सीधा, सख्त, कम बढ़ने वाला होता है और इसकी फली में 10-12 दाने होते हैं। यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है।

मूंग अवस्थी सम्राट: यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है। मूंग की यह किस्म 70-80 दिनों में अच्छी उपज देती है।

ईगल मूंग: यह किस्म पीडीएम-139 नाम से भी जानी जाती है जो 55-60 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 12-15 क़्वींटल प्रति हैक्टर होती है। यह किस्म पीले मौजेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है। यह उन्नत किस्म ग्रीष्म मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है।

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