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- बकरी का दूध प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज व इम्युनोग्लोबुलिन की पर्याप्त मात्रा से युक्त होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता हैं।
- गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में अल्फा कैसिइन की मात्रा कम, कपा कैसिइन की बराबर और बीटा कैसिइन की उच्च मात्रा होती है। बकरी के दूध में कम अल्फा कैसिइन पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
- बकरी का दूध पेट व आंत के रोगों के उपचार में सहायक है।
- एलर्जी और कैंसर के उपचार के लिए भी बकरी का दूध उत्तम माना गया है।
- बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च मात्रा होती है। सीएलए की इसके एंटी कारसिनोजेनिक गुण के कारण कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है।
- डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों में बकरी का दूध इस रोग की रोकथाम व इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- बकरी का दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
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- गेँहू की फसल में दाना भरने की अवस्था या दुग्धावस्था अति महत्व पूर्ण हैं |
- इस अवस्था में बाली के अंदर दाने भरते हैं इस समय सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक हैं |
- इसके साथ ही दानो के अच्छे विकास के लिए होमोब्रेसिनोलॉइड 0.04 % @ 100 ml के साथ 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ का छिड़काव करना चाहिए |
- उर्वरको की तीसरी क़िस्त के रूप में यूरिया @ 40 किलो एवं सूक्ष्म पोषक तत्व @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए |
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