आज के नवजात बछिया कल के दुधारु पशु होते हैं, इसलिए इनका पालन पोषण और उचित प्रबंधन किसी भी डेयरी विकास के सफलता का आधार होता है।
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बछड़े/बछिया के जन्म लेने के तुरंत बाद ही उनके नाक एवं मुँह को साफ करना चाहिए।
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नवजात के छाती पर धीरे-धीरे मालिश करें ताकि वह आसानी से सांस ले सके।
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मुँह के अंदर दो उंगलियाँ डालें और उनको जीभ पर रखें, जिससे नवजात को दूध पीना आरंभ करने में मदद होगी।
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नवजात बछड़े/बछिया को सुरक्षित वातावरण में रखना चाहिए।
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जन्म के आधे घंटे के भीतर, नवजात पशु को खीस पिलाएं। खीस में दूध की तुलना में इसमें 4-5 गुना अधिक प्रोटीन, 10 गुना विटामिन ए और पर्याप्त मात्रा में खनिज तत्व होते हैं जो नवजात में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
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तीसरे सप्ताह के दौरान कृमिनाशक दवा दें, और इसके बाद तीसरे एवं छठे माह की उम्र में भी ये दवा देना चाहिए।
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दूसरे सप्ताह से नवजात को अच्छी गुणवत्ता वाली सूखी घास और शिशु आहार खिलाना चाहिए।
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