नींबू में डाइबैक रोग की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

Measures for identification and control of dieback disease in lemon
  • प्रिय किसान भाइयों, भारत में उगाए जाने वाले सभी फलों में से नींबू प्रजाति के फलों का एक प्रमुख स्थान है, नींबू वर्ग के अंतर्गत माल्टा, किन्नो, संतरा, मौसमी, नींबू आदि आते हैंl

  • इन फलों के वृक्षों में होने वाले प्रमुख रोगों में से एक रोग है डाइबैक रोग जिसे विदर टिप के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग नींबू की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है। 

  • लक्षण: इस रोग के प्रमुख लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं जैसे – पत्तियां पीली होने लगती हैं। शाखाएं ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगते हैं। पौधों की वृद्धि रुक जाती है। फूल एवं फल कम आते हैं और अंत में पौधा पूरा सूख जाता है। पौधों की जड़ें देखने पर काले रंग की दिखाई देती है।

  • प्रबंधन: रोगग्रस्त शाखाओं को काटकर बोर्डों मिश्रण या कॉपर युक्त कवकनाशी से लेप करें।   

  • फरवरी एवं अप्रैल माह में सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें। 

  • यूरिया खाद का 100 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का घोल बनाकर पौधों के ओज बढ़ाने के लिए छिड़काव करना चाहिए। 

  • मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 50 ग्राम/टैंक की दर से छिड़काव करें।    

  • ब्लू कॉपर (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 % डब्ल्यूपी) @ 3 ग्राम या एम-45 (मैंकोज़ेब 75 % डब्ल्यूपी) @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिकड़ाव करें।

  • आवश्यकता होने पर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर कवकनाशी का दोबारा छिड़काव करें।

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