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- यह कीट मधुरस स्त्रावित करता है जिसके ऊपर हानिकारक फफूंद विकसित होती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित करता है।
- इस कीट के निम्फ और वयस्क मादा दोनों ही फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, फल वृंतों, फूल, फल और मुलायम टहनियों के रस को चूसकर आम के फसल को ये नुकसान पहुंचाते है।
- मादा कीट पेड़ की जड़ों के पास भूमि में अण्डे देती है।
- पेड़ के आसपास खरपतवार और सफाई रखना चाहिए। गर्मियों में बागों की अच्छी जुताई करके छोड़ देना चाहिए ताकि इस कीट की मादा और अंडे पक्षियों और तेज धूप से नष्ट हो जाए।
- थियामेथोक्सोम 12.6% + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 ग्राम या 35 मिली क्लोरोपायरीफास के साथ 75 ग्राम वर्टिसिलियम या ब्यूवेरिया बेसियाना कीटनाशी को 15 लीटर पानी में मिलाकर आम की टहनियों पर, आम के बौर पर, आम के फलों पर छिड़काव करें।
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- आम के पेड़ में फलों का झड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। आम में लगभग 99% फल विभिन्न चरणों में गिर जाते हैं और मात्र 0.1% फल ही परिपक्व अवस्था तक पहुँच पाते हैं।
- फलों का गिरना ऑक्सिन हार्मोन की कमी, निषेचन की कमी, द्विलिंगी पुष्पों की कमी, अपर्याप्त परागण, पराग कीटों की कमी, रोग व कीटो के प्रकोप, पोषक तत्वों की कमी, मिट्टी में अपर्याप्त नमी आदि के कारण हो सकते हैं।
- आम में फलों को गिरने से बचाने के लिए एल्फा नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 4.5% SL की 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
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