फ़सलों में सफेद ग्रब का प्रबंधन कैसे करें

How to protect the cotton crop from the white grub

सफेद ग्रब

सफ़ेद ग्रब सफेद रंग का कीट हैं जो सर्दियो में खेत में सुसुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है।

सफेद ग्रब से क्षति के लक्षण

आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद ग्रब के लक्षण पौधे पर देखे जा सकते है, जैसे कि पौधे या पौध का एक दम से मुरझा जाना, पौधे की बढ़वार रूक जाना और बाद में पौधे का मर जाना इसका मुख्य लक्षण है।

सफेद ग्रब का प्रबंधन:

इस कीट के नियंत्रण के लिए जून माह में और जुलाई के शुरूवाती सप्ताह में मेटाराईजियम स्पीसिस (kalichakra) 2 किलो + 50-75 किलो FYM/कम्पोस्ट के साथ मिलकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें या सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है। इसके लिए  फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली/एकड़, क्लोथियानिडिन 50.00% WG @ (डोन्टोटसु) 100 ग्राम/एकड़ को मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।

Share

कपास की फसल को सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) से कैसे बचाएं?

How to protect the cotton crop from the white grub
  • सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब) मिट्टी में रहने वाला सफेद रंग का लट्ट है, जो कपास की फसल में नुकसान पहुंचाता हैं।
  • इसके ग्रब जमीन के अंदर से मुख्य जड़ तंत्र को खाते हैं जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है और सूख जाता है।
  • गर्मी में खेतों की गहरी जुताई एवं सफाई कर कीट को नष्ट किया जा सकता है।
  • जैव-नियंत्रण के माध्यम से 1 किलो मेटारीजियम एनीसोपली (कालीचक्र) को 50 किलो गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में मिलाकर बुआई से पहले या खाली खेत में पहली बारिश के बाद खेत में मिला दें या
  • फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली या क्लोथियानिडीन 50% WDG 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से में 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग कर दें।
Share

How to protect our crops from White Grubs

किसानों के  लिए सफ़ेद ग्रब एक चुनौतीपूर्ण विषय बन गया है। इस कीट के  हमले से 80-100

प्रतिशत तक की नुक्सान होने की संभावना बताई गयी हे फसलो में 2-14 ग्रब से 64.7 प्रतिशत तक की हानि रिकॉर्ड की गयी हे

जीवन चक्र:-

  1. इस कीड़े के वयस्क पहली बारिश के बाद प्यूपा अवस्था से बहार आते हे और अगले एक महीने में जमीन में 8 इंच नीचे अपने अंडे  देते है
  2. ये अंडे 3-4 सप्ताह में लार्वा अवस्था (इल्ली अवस्था ) में बदल जाते है
  3. इस कीट के लार्वा अगले 4-5 महीनो में अपनी अवस्था बदलते हुए फसल को नुकसान पहूंचाते है और गर्मी शुरू होने से पहले पुनः प्यूपा अवस्था में चले जाते है

नियंत्रण केसे करे ?

रसायनिक उपचार:- फेनप्रोपेथ्रिन 10% ईसी  @ 500 मिली प्रति एकड़, फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 100 ग्राम / एकड़ या क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी @ 500 मिली / एकड़ का मिटटी में छिडकाव करे।

जैविक उपचार:– मेटाराइजियम स्पी. @ 1 किग्रा / एकड़ और बेवरिया + मेटाराइजियम  स्पी. @ 2 किग्रा / एकड़ की दर से पहले उर्वरक छिडकाव के साथ दे।

यांत्रिक नियंत्रण:-  लाइट ट्रैप का उपयोग करे।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share