तरबूज की फसल में लगने वाले रोगों का ऐसे करें प्रबंधन

Management of diseases affecting watermelon crop

  • किसान भाइयों तरबूज की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए फसल बुवाई से फसल कटाई तक पौध संरक्षण पर ध्यान रखना चाहिए। तरबूज की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ प्रमुख रोगों की पहचान व प्रबंधन निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं।  

  • डाउनी मिल्ड्यू रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीला धब्बा एवं निचली सतह पर भूरा चूर्ण जमा हो जाता है एवं पाउडरी मिल्ड्यू रोग में पत्तियों की ऊपरी एवं निचली सतह पर सफेद रंग का चूर्ण दिखाई देता है। इन दोनों रोगों के प्रबंधन के लिए कस्टोडिया (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11%+ टेबुकोनाजोल 18.3% एससी) @ 300 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • गमी स्टेम ब्लाइट रोग जिसे गमोसिस ब्लाइट के नाम से भी जानते हैं। इस रोग का एक मुख्य लक्षण यह है कि इस रोग से ग्रसित तने से गोंद जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है l इसके प्रबंधन के लिए जटायु (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • एन्थ्रेक्नोज रोग में फल बिना पके ही गिरने लगते हैं जिससे उपज में भारी नुकसान होता है। इसके प्रबंधन के लिए कोनिका (कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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