जानिए मक्के की फसल में ट्राई डिसोल्व मैक्स उपयोग के फायदे और विधि

Tri Dissolve Max in maize crop

ट्राई डिसॉल्व मैक्स में पोषक तत्व का संघटन होता है, इसमें कार्बनिक पदार्थ के साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाएं जाते हैं, जो फसल विकास के लिए आवश्यक हैं। ट्राई-डिसॉल्व मैक्स में ह्यूमिक एसिड, जैविक कार्बन, समुद्री शैवाल, कैल्शियम, मैग्नीशियम, बोरॉन, मॉलिब्डेनम पाएं जाते हैं। 

मक्के की फसल में ट्राई डिसॉल्व मैक्स के उपयोग  के फायदे

  • यह स्वस्थ और वानस्पतिक फसल वृद्धि को बढ़ावा देता है। 

  • जड़ विकास में मदद करता है। 

  • साथ ही मिट्टी में  विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाता है।

उपयोग की विधि 

मिट्टी में आवेदन – ट्राई डिसॉल्व मैक्स @ 400 ग्राम प्रति एकड़, के हिसाब से भुरकाव करें। 

छिड़काव –  ट्राई डिसॉल्व मैक्स  @ 200 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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मक्के की फसल में मैग्नीशियम के कमी के लक्षण एवं निवारण

किसान भाइयों, मैग्नीशियम एक आवश्यक पोषक तत्व है। मक्के के पौधे में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण पत्तियों में देखे जाते हैं जो लाल और बैंगनी रंग के होते हैं और एक लकीर के रूप में दिखाई देते हैं।

यह अक्सर ठंड और गीली और बहुत अम्लीय या रेतीली मिट्टी में लंबे समय तक रहने के बाद होता है। मैग्नीशियम मौसम की शुरुआत में स्वस्थ पौधों के विकास में योगदान देता है और उपज में सुधार करता है। यह पौधे की परिपक्वता प्रक्रिया में भी मदद कर सकता है।

निवारण 

फसलों में बुवाई के 15 से 20  दिन बाद, मैग्नीशियम सल्फेट @ 5 किलोग्राम  + यूरिया @ 35 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से आपस में मिलाकर बुरकाव करें।

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मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में पोषक प्रबंधन

  • मक्का खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है। हालांकि जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहुपयोगी फसल है, मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा मक्का की खेती का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।

  • मक्का फसल को खरपतवार रहित होना चाहिए। जिससे सीधे मुख्य फसल ही पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और पोषक तत्व का नुकसान नहीं होगा एवं फसल भी स्वस्थ रहेगी।

  • मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं।  यूरिया 35 किग्रा, सूक्ष्म पोषक तत्व  मिश्रण केलबोर (बोरॉन 4 + कैल्शियम 11 + मैग्नीशियम 1 + पोटेशियम 1.7 + सल्फर 12 %) @ 5 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव करें। 

  • मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में फूल आना शुरू होता है। ज्यादा फूल लगने के लिए, होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू (डबल) @ 100 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण के उपाय

यह कीट मक्के की सभी अवस्था में आक्रमण करते हैं | सामान्यता यह मक्के की पत्तियों पर आक्रमण करता है परन्तु अधिक प्रकोप होने पर यह भुट्टे को भी नुकसान पहुंचाने लगता है। लार्वा के पौधे के ऊपरी भाग या कोमल पत्तियों पर अधिक आक्रमण करता है ग्रसित पौधे की पत्तियों पर छोटे- छोटे छेद दिखाई देते है

नवजात लार्वा पौधे की पत्तियों को खुरच कर खाते हैं, जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधे की ऊपरी पत्तियों को पूर्ण रूप से खाता जाता है। इसके अलावा पौधे के अंदर घुसकर मुलायम पत्तियों को भी खा जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय  

इसके नियंत्रण के लिए इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी) @ 80 ग्राम या बाराज़ाइड (नोवालुरॉन 5.25% + एमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% एससी) @ 600 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मि ली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।  

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मक्का की फसल में बुवाई के समय खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन

👉🏻किसान भाइयों, मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पहलू है, अगर पोषक तत्व का सही से प्रबंधन किया जाये तो पौधों को स्वस्थ रखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्राकृतिक तनाव एवं कीट के प्रति सहनशील बनाने में मदद किया जा सकता है।

👉🏻पोषक तत्व प्रबंधन में रासायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, गोबर की खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जा सकता है।

👉🏻बीज की बुवाई के 15 -20 दिन पहले गोबर की खाद 4 टन + कॉम्बेट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से फैला दें। 

👉🏻इसके बाद बीज की बुवाई के समय, डीएपी 50 किग्रा, एमओपी 40 किग्रा, यूरिया 25 किलो, ताबा जी (जिंक घोलक बैक्टीरिया) 4 किलोग्राम, टीबी 3 (एनपीके कन्सोर्टिया) 3 किलोग्राम, मैक्समाइको (समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा) 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें।

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