राजधानी भोपाल पर टिड्डी दल का बड़ा हमला, मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

पिछले कुछ हफ्ते से रुक रुक कर टिड्डी दल के हमले राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में हो रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार शाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में टिड्डियों ने हमला कर दिया। लाखों की संख्या में टिड्डियां होशंगाबाद रोड से लेकर बरखेड़ा पठानी, एम्स और अवधपुरी इलाके तक छा गईं।

ख़बरों के अनुसार टिड्डी दल ने विदिशा से बैरसिया होते हुए भोपाल में प्रवेश किया। शनिवार रात प्रशासन को बैरसिया में टिड्डी दल के होने की खबर मिली थी। बैरसिया से लेकर विदिशा नाके तक कृषि विभाग ने टिड्डियों को रोकने के इंतज़ाम कर लिए थे, लेकिन रविवार शाम टिड्डी दल ने भोपाल में प्रवेश कर लिया।

बहरहाल कृषि विभाग टिड्डी दल से निपटने इंतज़ाम कर रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने टीम तैयार की है जो टिड्डियों पर केमिकल का छिड़काव कर के इन्हें मार देंगे। इसके लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की मदद भी ली जाएगी।

भोपाल से पहले टिड्डी दल ने विदिशा में फसलों को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है की यहाँ टिड्डी दल ने चौथी बार हमला किया है। यहाँ 6 गांवों में मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

स्त्रोत: भास्कर

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फसलों को टिड्डियों के हमले से कैसे बचाया जाए?

How to protect crops from Locust attack
  • टिड्डी दल फ़सलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाती हैं साथ ही साथ जिस पेड़ पर ये बैठती हैं उसकी सारी हरियाली खत्म कर देती हैं। अतः टिड्डी दल दिखाई देते ही बिना देर किए इसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दें। 
  • खेतों में क़ब्ज़ा जमाये टिड्डी दल को उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों यानी लाउड स्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी आवाज़ से टिड्डी दल भागने लगते हैं।
  • इसके अलावा आप अपने खेतों में कही कही आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर, ट्रैक्टर के साइलेंसर को निकाल कर तेज ध्वनि निकाल कर भी टिड्डियों को दूर भगा सकते हैं। 
  • अगर आप टिड्डियों के झुंड को अपने खेतों में बैठते हुए शाम के समय देखें तो रात के समय ही खेत में कल्टीवेटर चला दें। इसके अलावा कल्टीवेटर के पीछे खंबा, लोहे की पाइप या ऐसी ही कोई अन्य वस्तु बांध के चलाएं। ऐसा करने से पीछे की भूमि पुनः समतल हो जायेगी और टिड्डी उसमें दब कर मर जाएंगे।  
  • जहाँ टिड्डियां अंडे देती है उन स्थानों को खोद कर या पानी भरकर या फिर जुताई करके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा रासायनिक दवा मैलाथियान 5% चूर्ण को 10 किलो प्रति एकड़ की दर से अंडे देने वाली जगह पर भुरकाव कर देना चाहिए। 
  • अंडों से निकलने वाले फाके पहली और दूसरी अवस्था में चलने लायक नहीं होते अतः इन्हे इसी अवस्था में नष्ट कर देना चाहिए। तीसरी अवस्था में ये झुंड में चलना शुरू कर देते हैं अतः फाको के बढ़ने वाली दिशा में ढाई फूट गहरी और एक फुट चौड़ी खाई खोद दें (S) ताकि फाके इसमें गिर जाएँ। इसके बाद इन गड्ढों को मिट्टी से भर दें ताकि इनमें गिरे फाके दब कर खत्म हो जाएँ।
  • टिड्डी को कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। 
  • टिड्डी दल के प्रभाव को कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके कम किया जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरिफॉस 20% EC 480 मिली या क्लोरोपायरिफॉस 50% EC 200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8% EC 200 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5% EC 160 मिली या (46) लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10% WP 80 ग्राम या मेलाथियान 50% EC 740 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की दर से कीटनाशकों का उपयोग टिड्डियों पर किया जा सकता है।
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