अब टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं की ली जा रही है मदद

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

पिछले कई हफ़्तों से राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पाकिस्तान से आये टिड्डी दल का हमला हो रहा हो। ऐसे में भारत में टिड्डी नियंत्रण अभियान के लिए कई कोशिश की गयी है जिसके कारण टिड्डियों के नियंत्रण में कामयाबी भी मिल रही है। इसी कड़ी में पिछले दिनों टिड्डी दल पर काबू करने के लिए हेलीकॉप्टर का भी उपयोग किया जा रहा है।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों स्प्रे उपकरण से युक्त एक बेल हेलीकॉप्टर को हरी झंडी दिखाई। हेलीकॉप्टर उत्तरलाई, बाड़मेर स्थित वायु सेना स्टेशन के लिए रवाना होगा, जहां वह शुरुआती तौर पर तैनात रहेगा और वहां से अलग अलग क्षेत्रों में होने वाले टिड्डी हमले पर नियंत्रण करेगा।

इस हेलीकॉप्टर को एक ही पायलट चलाएगा और इसमें एक बार में 250 लीटर कीटनाशक ले जाने की क्षमता है। यह हेलीकॉप्टर एक बार में 25 से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा।

इससे पहले भारत ने टिड्डियों को कंट्रोल करने में कुछ ऐसा भी किया है जिसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। दरअसल भारत ने टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का सहारा लिया है और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है।

स्रोत: कृषक जगत

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राजधानी भोपाल पर टिड्डी दल का बड़ा हमला, मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

पिछले कुछ हफ्ते से रुक रुक कर टिड्डी दल के हमले राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों में हो रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार शाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में टिड्डियों ने हमला कर दिया। लाखों की संख्या में टिड्डियां होशंगाबाद रोड से लेकर बरखेड़ा पठानी, एम्स और अवधपुरी इलाके तक छा गईं।

ख़बरों के अनुसार टिड्डी दल ने विदिशा से बैरसिया होते हुए भोपाल में प्रवेश किया। शनिवार रात प्रशासन को बैरसिया में टिड्डी दल के होने की खबर मिली थी। बैरसिया से लेकर विदिशा नाके तक कृषि विभाग ने टिड्डियों को रोकने के इंतज़ाम कर लिए थे, लेकिन रविवार शाम टिड्डी दल ने भोपाल में प्रवेश कर लिया।

बहरहाल कृषि विभाग टिड्डी दल से निपटने इंतज़ाम कर रहा है। इसके लिए कृषि विभाग ने टीम तैयार की है जो टिड्डियों पर केमिकल का छिड़काव कर के इन्हें मार देंगे। इसके लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की मदद भी ली जाएगी।

भोपाल से पहले टिड्डी दल ने विदिशा में फसलों को नुकसान पहुंचाया। बताया जा रहा है की यहाँ टिड्डी दल ने चौथी बार हमला किया है। यहाँ 6 गांवों में मूंग और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

स्त्रोत: भास्कर

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राजस्थान से बढ़ा 12 किमी लंबा टिड्डी दल, यूपी और एमपी में फ़सलों को पहुँचा सकता है भारी नुकसान

After 27 years in MP, large locust attack, Threat on Moong crop of 8000 crores

पिछले कुछ हफ्ते से टिड्डी दलों का कहर भारत के कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। ये टिड्डी दल ईरान से पाकिस्तान होते हुए राजस्थान में प्रवेश करते हैं और उसके बाद भारत के भीतरी राज्यों में फ़सलों को भारी नुकसान पहुँचाते हैं। खबर है की पाकिस्तान से 9 से भी ज्यादा नए टिड्डी दल राजस्थान के अलग-अलग जिलों में पहुँच गए हैं और वे जल्द ही मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश के कई क्षेत्रों में नुकसान पहुंचा सकते हैं।

राजस्थान पहुँच चुके इन नए टिड्डी दलों के मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में आने की संभावनाओं को देखकर कृषि विभाग भी अलर्ट पर है। आने वाले दिनों में हवा की दिशा यह तय करेगी की यह दूसरे राज्यों में प्रवेश करता है या नहीं। अगर हवा की दिशा नहीं बदली तो 12 किलोमीटर लंबा टिड्डी दल अगले कुछ दिनों में एमपी और यूपी में प्रवेश कर जाएगा।

स्रोत: जागरण

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फसलों को टिड्डियों के हमले से कैसे बचाया जाए?

How to protect crops from Locust attack
  • टिड्डी दल फ़सलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाती हैं साथ ही साथ जिस पेड़ पर ये बैठती हैं उसकी सारी हरियाली खत्म कर देती हैं। अतः टिड्डी दल दिखाई देते ही बिना देर किए इसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दें। 
  • खेतों में क़ब्ज़ा जमाये टिड्डी दल को उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों यानी लाउड स्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी आवाज़ से टिड्डी दल भागने लगते हैं।
  • इसके अलावा आप अपने खेतों में कही कही आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर, ट्रैक्टर के साइलेंसर को निकाल कर तेज ध्वनि निकाल कर भी टिड्डियों को दूर भगा सकते हैं। 
  • अगर आप टिड्डियों के झुंड को अपने खेतों में बैठते हुए शाम के समय देखें तो रात के समय ही खेत में कल्टीवेटर चला दें। इसके अलावा कल्टीवेटर के पीछे खंबा, लोहे की पाइप या ऐसी ही कोई अन्य वस्तु बांध के चलाएं। ऐसा करने से पीछे की भूमि पुनः समतल हो जायेगी और टिड्डी उसमें दब कर मर जाएंगे।  
  • जहाँ टिड्डियां अंडे देती है उन स्थानों को खोद कर या पानी भरकर या फिर जुताई करके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा रासायनिक दवा मैलाथियान 5% चूर्ण को 10 किलो प्रति एकड़ की दर से अंडे देने वाली जगह पर भुरकाव कर देना चाहिए। 
  • अंडों से निकलने वाले फाके पहली और दूसरी अवस्था में चलने लायक नहीं होते अतः इन्हे इसी अवस्था में नष्ट कर देना चाहिए। तीसरी अवस्था में ये झुंड में चलना शुरू कर देते हैं अतः फाको के बढ़ने वाली दिशा में ढाई फूट गहरी और एक फुट चौड़ी खाई खोद दें (S) ताकि फाके इसमें गिर जाएँ। इसके बाद इन गड्ढों को मिट्टी से भर दें ताकि इनमें गिरे फाके दब कर खत्म हो जाएँ।
  • टिड्डी को कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। 
  • टिड्डी दल के प्रभाव को कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके कम किया जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरिफॉस 20% EC 480 मिली या क्लोरोपायरिफॉस 50% EC 200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8% EC 200 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5% EC 160 मिली या (46) लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10% WP 80 ग्राम या मेलाथियान 50% EC 740 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की दर से कीटनाशकों का उपयोग टिड्डियों पर किया जा सकता है।
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