आलू में पिछेती झुलसा का प्रबंधन
- पिछेती झुलसा आलू की मुख्य बीमारी है |
- यह रोग फायटोप्थोरा इन्फेसटेन्स नामक एक कवक के कारण होता है यह रोग पत्तियों, तनो और कंदों को नुकसान पहुंचाता है।
- बीमारी पहले पनीले, पत्ती के किनारों पर हल्के भूरे रंग के घावों के रूप में प्रकट होती है।
- संक्रमित पत्ती के ऊतकों के मरने के बाद घाव गहरे भूरे, सूखे और भंगुर हो जाते हैं।
- आर्द्र वातावरण में, फफूंद की वृद्धि को धब्बो के निचे की तरफ कपासी वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है|
- धब्बे काले हो जाते हैं क्योंकि प्रभावित पत्ते सड़ने लगते हैं। गंभीर संक्रमण के कारण सभी पत्ते सड़ जाते है सुख जाते है ओर जमीन पर गिर जाते है तना सुख जाता है एवं पौधा मर जाता है| जमीन के नीचे कंद भी फसल से पहले क्षय हो जाते हैं कंदों पर, हरापन को देखा जा सकता है।
- आलू की पिछेती झुलसा के नियंत्रण के लिए, मैन्कोज़ेब 75% WP @ 50 ग्रा. / 15 लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP @ 50 ग्रा. / 15 लीटर पानी या मेटालेक्सिल + मैन्कोज़ेब @ 50 ग्रा / 15 लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए।
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