सरपंच के कार्यों को जानें और अपने गांव का करवाएं विकास

Know the works of Sarpanch and get your village developed

देश को सुचारू ढंग से चलाने के लिए संविधान में राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थाएं की गई हैं। हालांकि देश के विकास के लिए देश के प्रत्येक गांव का विकास होना बेहद जरूरी है। ऐसे में गांव के उत्थान के लिए ग्राम पंचायत की व्यवस्था की गई है।

इस व्यवस्था के अनुसार हर गांव में एक ग्राम पंचायत होती है, जिसका कार्यभार संभालने का काम ग्राम प्रधान करता है। ग्राम प्रधान को गांव के मुखिया और सरपंच के नाम से भी जाना जाता है। इस पद के लिए उसी गांव के किसी योग्य व्यक्ति को ग्रामीणों द्वारा चुना जाता है। जो 5 साल तक मुखिया के रूप में हर स्तर पर गांव का विकास करता है।

इसके साथ ही ग्राम प्रधान गांव का पहला नागरिक भी होता है। गांव का पहला नागरिक होने के नाते गांव की सभी जिम्मेदारियां उसके कंधों पर होती हैं। गांव में शांति बनाए रखने से लेकर विकास कार्यों तक सरपंच को सब पर ध्यान रखना होता है। वहीं गांव की उन्नति के लिए ग्राम प्रधान द्वारा किए जाने वाले काम इस प्रकार हैं।

  • गांव के हित में सरकारी योजनाओं को लागू करना

  • सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की निगरानी करना

  • मनरेगा जैसी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाना

  • गांव में सड़कों का रखरखाव करना

  • प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना

  • आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारु रूप से चलाना

  • खेल का मैदान बनवाना व खेल को बढ़ावा देना

  • स्वच्छता अभियान के तहत गांव को साफ सुधरा रखना

  • किसानों के हित में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करना

  • सिंचाई के साधन की व्यवस्था कराना

  • पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना

  • दाह संस्कार व कब्रिस्तान का रखरखाव करना

  • गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखना

  • आपसी विवादों का निपटारा करना

  • ग्राम सभा की बैठकों में ग्रामिणों के भागीदारी सुनिश्चित करना

  • पिछड़े वर्गों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना

गांव के प्रति जिम्मेदारियों की इतनी लंबी लिस्ट देखने के बाद आप सरपंच की सैलरी के बारे में सोच रहे होंगे। तो आपको बता दें कि राज्य सरकार के नियमों के मुताबिक ही सरपंच की सैलरी निर्धारित होती है। यानि कि हर राज्य में सरपंच की सैलरी अलग होती है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में सरपंच को 3500 रूपए प्रतिमाह और हरियाणा में सरपंच को 3000 रूपए प्रतिमाह मिलते हैं। हालांकि योजनाओं का क्रियान्वयन के लिए सरकार की ओर से मुखिया को लाखों रूपए दिये जाते हैं। जिसे वह गांव के विकास कार्यों में लगाता है।

स्रोत: दी रूरल इंडिया

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