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किसान भाइयों कद्दू वर्गीय फसलों में लाल कद्दू का कीड़ा बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। इस कीट का भृंग नारंगी चमकीले रंग का होता है, जिसका ग्रब एवं भृंग दोनों अवस्था फसल को नुकसान पहुँचाती है।
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क्षति के लक्षण अंडे से निकलने के बाद ग्रब, जड़ों, भूमिगत भागों एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उनको नुकसान पहुंचाते है।
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इन प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ों एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी कवक का आक्रमण हो जाता है।
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जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएं सुख जाती है।
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भृंग पत्तियों को खाकर उसमें छेद कर देते है। जिससे पत्तियां छलनी नुमा दिखाई देती है।
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वानस्पतिक वृद्धि अवस्था में बीटल/भृंग मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुँचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है।
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संक्रमित फल मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते है।
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नियंत्रण – फसल कटाई उपरांत गर्मियों में गहरी जुताई करें।
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रासायनिक नियंत्रण में लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस [लैमनोवा] @ 250 मिली या बायफैनथ्रिन 10% ईसी [मार्कर] @ 400 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना [बवे कर्ब] @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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