किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से विविधता पूर्ण खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके चलते सरकार किसानों को परंपरागत खेती के अलावा सब्जियों और फलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में उड़ीसा में कुचिंडा मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी सामने आई है।
दरअसल ग्रामीण विकास और विपणन सोसाइटी की ओर से कुचिंडा मिर्च के सैंपल को टेस्ट के लिए कोच्चि स्थित प्रयोगशाला भेजा गया था। जिसके काफी अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं। ऐसे में उड़ीसा की इस क्षेत्रीय मिर्च पर जीआई टैग दिए जाने की चर्चा जोरों पर है।
जीआई टैग क्या है?
जीआई टैग ऐसे उत्पाद को मिलता है, जो गुणवत्ता के पैमाने पर हर तरह से खरा उतरता हो। इसके साथ ही यह टैग उस विशेष उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। कहने का मतलब ये है कि, जीआई टैग बताता है कि उत्पाद विशेष का निर्माण कहां हुआ है।
जीआई टैग की महत्ता
ऐसे उत्पाद को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बिक्री के लिए आसानी से बाजार उपलब्ध हो जाता है। जीआई टैग मिले उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है। जिसके चलते इन उत्पाद का व्यवसाय करने वाले लोगों को ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है।
इसी क्रम में अब कुचिंडा मिर्च की खेती करने वाले किसान भाईयों की आमदनी में वृद्धि होगी। काफी लंबे समय से कुचिंडा को अपनी खास पहचान नहीं मिल पा रही थी। हालांकि जीआई टैग लगते ही देश के साथ ही अब इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मांग बढ़ जाएगी।
स्रोत: कृषि जागरण
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