- इस कीट के मादा रूप हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर एवं तने, फूल कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती हैं।
- अंडे से निकली हुई इल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है, जो व्यस्क होने पर हल्के गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाती है।
- यह प्रारंभिक अवस्था में छोटी इल्ली रहती है, जो तने में छेद करके तने के अंदर प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती हैं।
- बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है।
- इसकी लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करती है।
- इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Shareअपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।