इस रोग के कारण पत्तियों और तने पर पानी से लथपथ काले धब्बे बन जाते है। घाव तेजी से फैलते हैं और पूरी पत्ती सूख जाती है। पत्तियों पर किनारे से धब्बे बनना शुरू होते हैं और धीरे-धीरे ये धब्बे तने और फल पर भी दखाई देते हैं। फल पर गहरे भूरे रंग के घाव बन जाते हैं। मौसम में बार-बार बदलाव होना, खेतों में ज्यादा नमी, से इस रोग का फैलाव तीव्रता से होता है।
नियंत्रण: यदि इसका हमला देखा जाए तो ब्लू कॉपर (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी) 300 ग्राम/एकड़ या नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) 300 मिली/एकड़ या ताक़त कैप्टान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यू पी 370 ग्राम/एकड़, 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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