करेले की फसल में आएगी पौध गलन की समस्या, कर लें निवारण की तैयारी

How to manage plant rotting problem in bitter gourd crop
  • पौध गलन रोग अक्सर तापमान अचानक गिरने या फिर बढ़ने के कारण होता है और इसके फंगस जमीन में पनपते हैं।

  • यह एक मिट्टी जनित रोग है जो करेले के पौधे के तने को काला कर देता है जिससे तना गल जाता है। इस रोग में तने के मध्य भाग से चिपचिपा पानी निकलने लगता है जिसके कारण मुख्य पोषक तत्व पौधे के ऊपरी भाग तक नहीं पहुंच पाते हैं और इस वजह से पढ़े मर जाते हैं।

  • इनके निवारण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • ध्यान रखें की फसल की बुआई हमेशा मिट्टी उपचार एवं बीज़ उपचार करके ही करें।

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