-
इस रोग के कारण पत्तियों के ऊपर छोटे, वृत्ताकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। जैसे-जैसे ये धब्बे आकार में बढ़ते हैं वैसे वैसे किनारे से हल्के और केंद्र से गहरे काले रंग के होते जाते हैं।
-
ये धब्बे अनियमित घावों का निर्माण करते हैं। गंभीर रूप से प्रभावित पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं और गिर जाती हैं।
-
तना संक्रमण के कारण शाखाओं में केंकर युक्त वृद्धि होती है और वे मुरझा जाते हैं। फलों पर, हल्के पीले रंग की सीमा वाले गोल, उभरे हुए पानी से लथपथ धब्बे बनते हैं।
-
ये धब्बे भूरे रंग में बदल जाते हैं जिससे केंद्र में एक अवसाद पैदा हो जाता है जिसमें जीवाणु की चमकदार बूंदें देखी जा सकती हैं।
-
नियंत्रण: पुरानी फसल के अवशेष को खेत से समाप्त कर देना चाहिए। साथ ही रोग मुक्त पौधों से बीज प्राप्त करना चाहिए।
-
नर्सरी को उस मिट्टी में लगाना चाहिए जहां मिर्च कई वर्षों से नहीं उगाई गई हो।
-
इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
Shareअपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।