रसोई से युद्ध के मैदान तक में इस मिर्च का होता है उपयोग

वैसे तो मिर्च का नाम सुनकर ही चीभ तिलमिला जाती है, लेकिन दुनिया में कई ऐसी मिर्च की किस्में हैं जो इंसान का पसीना छुड़ाने में नंबर एक हैं। इन्हीं में से एक है ‘भूत झोलकिया’, जिसकी गिनती दुनिया की सबसे तीखी मिर्च की किस्मों में की जाती है। इस मिर्च को भूत काली मिर्च, घोस्ट चिली, घोस्ट पेपर और नागा झोलकिया नाम से भी जाना जाता है। 

भारत में इसकी खेती उत्तर पूर्वी इलाके जैसे असम, नागालैंड और मणिपुर में की जाती है। जिस मिर्च में एसएचयू यानी तीखापन स्कोवाइल हीट यूनिट की मात्रा अधिक होती है, वो मिर्च उतनी ही ज्यादा तीखी होती है। वैसे तो सामान्य मिर्च का एसएचयू स्तर 2500 से 5000 के बीच होता है। वहीं भूत झोलकिया मिर्च में तीखापन 10,41,427 एसएचयू मापा गया है। इस वजह से मसाले के रूप में इस मिर्च की पूरी दुनिया की बहुत मांग है।

नाम की तरह ही इसका उपयोग दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ खाने में बल्कि हथियार बनाने में भी किया जाता है। सीमा सुरक्षा बल यानि बीएसएफ की ग्वालियर, टेकनपुर स्थित टियर स्मोक यूनिट इस मिर्च का इस्तेमाल  आंसू गैस के गोले बनाने में करती है। इससे आंख में होने वाली जलन दम घोटने के बराबर होती है। हालांकि इससे कोई शारीरिक नुकसान नहीं होता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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