- एन.आर.सी-7(अहिल्या-3): यह मध्यम अवधि की किस्म जो लगभग 90-99 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 10-12 क्विंटल/एकड़ होती हैं। पौधों की सीमित वृद्धि होने की वजह से कटाई के समय सुविधा रहती हैं साथ ही इस किस्म में परिपक्व होने के बाद भी फल्लिया चटकती नही हैं फलस्वरूप उत्पादन में कोई नुकसान नहीं होता। इस किस्म की मुख्य विशेषता यह हैं की यह गर्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए सहनशील हैं।
- एन.आर.सी-12 (अहिल्या-2): यह मध्यम अवधि की किस्म जो लगभग 96-99 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह गर्डल बीटल और तना-मक्खी के प्रति सहनशील तथा पीला मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी विशेषता रखती है।
- एन.आर.सी-37 (अहिल्या-4): यह किस्म 99-105 दिन में पककर तैयार होती है। इसकी उपज क्षमता 8-10 क्विण्टल प्रति एकड़ होती है।
- एन.आर.सी-86: यह अगेती किस्म 90-95 दिनों में पक जाती है और उपज लगभग 8-10 क्विण्टल/एकड़ होती है। यह किस्म गर्डल बीटल और तना-मक्खी के प्रति प्रतिरोधी एवं चारकोल राॅट एवं फली झुलसा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
- जे.एस 20-34: इसकी उपज लगभग 8-10 क्विण्टल/एकड़ होती है और मध्यम अवधि की यह किस्म लगभग 87 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं। चारकोल रॉट और पत्ती धब्बा रोग के प्रति प्रतिरोधी किस्म है। यह कम और मध्यम वर्षा के लिए उपयुक्त है और हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं।
- जे.एस 20-29: इसकी उपज लगभग 10 -12 क्विण्टल/एकड़ होती हैं, जो लगभग 90-95 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं। पीला मोजैक विषाणु रोग और चारकोल रॉट के प्रति प्रतिरोधी किस्म है।
- जे.एस. 93-05: सोयाबीन की यह किस्म 90-95 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके फली में चार दाने होते है। इस किस्म की उपज क्षमता 8-10 क्विण्टल/एकड़ आंकी गई है।
- जे.एस. 95-60: यह अगेती किस्म 80-85 दिनों में पक जाती है, इसकी उपज लगभग 8-10 क्विण्टल/एकड़ होती हैं। इस अर्द्ध-बौनी किस्म की फलिया चटकती नहीं है।
Improved Varieties of Soybean
किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ, लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 % से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |
मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-
क्र. | किस्म का नाम | अवधि दिन में | उपज प्रति हेक्टेयर |
1. | JS-9560 | 82-88 | 18-20 |
2. | JS-9305 | 90-95 | 20-25 |
3. | NRC-7 | 90-99 | 25-35 |
4. | NRC-37 | 99-105 | 30-40 |
5. | JS-335 | 98-102 | 25-30 |
6. | JS-9752 | 95-100 | 20-25 |
7. | JS-2029 | 93-96 | 22-24 |
8. | RVS-2001-4 | 92-95 | 20-25 |
9. | JS-2069 | 93-98 | 22-27 |
10. | JS-2034 | 86-88 | 20-25 |
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ShareAn Improved Variety of Soybean:- JS 20-29
- जेएस 20-29 एक नई किस्म हैं जो JNKVV द्वारा विकसित की गई हैं यह ज्यादा उपज लगभग 10 -12 क्विण्टल/एकड़ होती हैं |
- इस किस्म की अंकुरण क्षमता अधिक होती हैं तथा यह विभिन्न रोगो के प्रति प्रतिरोधी हैं |
- पत्ती नुकीली और अण्डाकार गहरे हरे रंग की होती हैं । शाखाएं तीन से चार, पौधा मध्यम लम्बाई लगभग 100 सेमी का होता हैं
- फूल का रंग सफ़ेद होता हैं |
- यह किस्म लगभग 90-95 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं एवं इसके 100 दानो का वजन 13 ग्राम होता हैं |
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