तरबूज की खेती के दौरान इसके पूरे फसल चक्र में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप देखने को मिलता है। इन रोगों की रोकथाम कर के तरबूज की अच्छी उपज की प्राप्ति की जा सकती है। तरबूज की फसल का एक प्रमुख रोग है गमी तना झुलसा और इस लेख में हम जानेंगे इसी रोग से संबंधित जानकारी एवं रोकथाम के उपाय।
लक्षण: तरबूज की फसल में गमी तना झुलसा गंभीर पर्णीय बीमारियों में से एक है। इस रोग में तने और पत्तियों पर भूरे धब्बे बन जाते हैं और यह धब्बे पीले ऊतकों से घेरे होते हैं। साथ ही तने में यह घाव बढ़कर गलन का निर्माण करता है और इससे चिपचिपे, भूरे रंग के द्रव का स्रावण होता है। इस रोग में फल शायद ही कभी प्रभावित होते हैं, लेकिन पर्णसमूह के नुकसान से उपज और फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
नियंत्रण: गमी तना झुलसा से बचने के लिए रोग रहित बीज का उपयोग करें, साथ ही सभी कद्दू वर्गीय फसलों से 2 वर्ष का फसल चक्र रखें। इसके अलावा रोग के लक्षण दिखाई देने पर रासायनिक नियंत्रण के लिए, फफूंदनाशक जैसे जटायु (क्लोरोथॅलोनिल 75% डब्लूपी) 400 ग्राम प्रति एकड़ या एम 45 (मैंकोज़ेब 75% डब्लूपी) 600-800 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के दर से छिड़काव करें। इसके जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेन्स) 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
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