- इस कीट की मादा पौधे के तने के अंदर अंडे देती है और जब अंडे से शिशु निकलते हैं तो वे तने को खाकर कमजोर कर देते हैं।
- इससे तना बीच में से खोखला हो जाता है जिसके कारण खनिज तत्व पत्तियों तक नहीं पहुंच पाते एवं पत्तियां सुख जाती हैं।
- इस कारण फसल के उत्पादन में भी काफी कमी आ जाती है।
यांत्रिक प्रबंधन:
- गर्मियो के समय खाली खेत में गहरी जुताई करें। अधिक घनी फसल की बुआई ना करें।
- अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग ना करें, यदि संक्रमण बहुत अधिक हो तो उचित रसायनों का उपयोग करें।
रासायनिक प्रबंधन:
- लेमड़ा सहेलोथ्रिन 4.9% EC@ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40 % + साइपरमेथ्रिन 4 % EC@400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- क्युँनालफॉस 25% EC 25% EC@400 मिली/एकड़ या बायफेनथ्रिन 10% EC@300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
जैविक प्रबंधन:
- बवेरिया बेसियाना @500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।