- इन रोगों से संक्रमित पौधों को नष्ट करें।
- रोग मुक्त बीज का उपयोग करें।
- बुआई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
- जब खरबूजे के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।
खरबूजे की फसल मे फ्यूसैरियम क्राउन और फुट रोट रोग को कैसे पहचाने
- रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
- पौधे के ऊपरी भाग तथा तने के पास वाली जड़ के ऊपर भूरे रंग के संकेन्द्रीय धब्बे दिखाई देते हैं।
- इसकी वजह से सड़न धीरे – धीरे तने के आसपास तथा पौधे के अन्य भागो में फैलने लगती है।
- पौधे का प्रभावित भाग हल्का नरम तथा शुष्क दिखाई देने लगता है।
- प्रभावित पौधा मुरझाकर सूखने लगता है।
मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग का नियंत्रण
- स्वस्थ बीजों का उपयोग करें एवं बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम + मेंकोजेब @ 250 ग्राम/ क्विन्टल बीज से बीजोपचार करें।
- रोग ग्रस्त पौधों पर फूलों के आने पर मैनकोजेब 75% @ 400 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें एवं 10-15 दिन के अंतराल से पुनः छिड़काव करें ।
- थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें| या
- क्लोरोथ्रोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव करें।
- रोगग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करें ।
- जल निकास की उचित व्यवस्था करें ।
मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग की पहचान
- पत्तियों पर गहरे भूरे किनारे वाले गोल कत्थई से लेकर भूरे रंग के धब्बे पाये जाते है ।
- तनों पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैगनी-काले रंग के होते है ।
- ये विक्षत बाद में आपस में मिल जाते है और पूरे तने को चारों और से घेर लेते है ।
- फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते है ।
- रोग की गंभीर अवस्था में पौधे का तना कमजोर होने लगता है |
Control of Blight and Foot Rot in Pea Crop
मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग का नियंत्रण:-
लक्षण:-
- पत्तियों पर गहरे भूरे किनारे वाले गोल कत्थई से लेकर भूरे रंग के धब्बे पाये जाते है ।
- तनों पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैगनी-काले रंग के होते है ।
- ये विक्षत बाद में आपस में मिल जाते है और पूरे तने को चारों और से घेर लेते है । इस प्रकार यह तना कमजोर हो जाता है ।
- फलियों पर धब्बे लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे होते है ।
नियंत्रण:-
- स्वस्थ बीजों का उपयोग करें एवं बुवाई से पहले कार्बनडेजिम+मेंकोजेब@ 250 ग्राम/ क्विन्टल बीज से बीजोपचार करें ।
- रोग ग्रस्त पौधों पर फूलों के आने पर मैनकोजेब 75% @ 400 ग्राम/ एकड़ का छिड़काव करें एवं 10-15 दिन के अंतराल से पुनः छिड़काव करें ।
- रोगग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करें ।
- जल निकास की उचित व्यवस्था करें ।
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