मिर्च के मुख्य खेत में रोपाई के बाद यह पहला छिड़काव है जरूरी

First spraying in chilli after transplanting in main field
  • मिर्च की मुख्य खेत में रोपाई के बाद मिर्च की फसल में रोगों एवं कीटों का प्रकोप होने की संभावना होती है। इन रोगों एवं कीटों से मिर्च की फसल की रक्षा करना बहुत आवश्यक होता है।

  • मिर्च की रोपाई के 10-15 दिनों में, कवक रोग जैसे झुलसा रोग, पत्ती धब्बा रोग, उकठा रोग आदि के लगने की पूरी संभावना रहती है। कीट प्रकोप की बात करें, तो रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स, एफिड, जेसिड, सफेद मक्खी, मकड़ी इत्यादि प्रमुख हैं जो इस वक़्त लग सकते हैं।

  • जब मिर्च की रोप को मुख्य खेत में लगाया जाता है तो मिर्च की पौध को अच्छे से अपनी जड़ों को भूमि में फैलाने के लिए पोषक तत्व की भी आवश्यकता होती है। इसके लिए, सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबधन छिड़काव के रूप में करना बहुत आवश्यक है।

  • इन्ही कीट, कवक एवं जीवाणु रोगों से मिर्च की फसल की रक्षा के लिए एवं फसल की अच्छी बढ़वार के लिए छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट + एमिनो एसिड + फल्विक एसिड 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इससे मिर्च की फसल में आवश्यक पोषक तत्व की पूर्ति एवं अच्छी बढ़वार होती है।

  • थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से कवक एवं जीवाणु जनित रोगों की रोकथाम लिए छिड़काव करें।

  • थियामेंथोक्साम 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 240 मिली/एकड़ की दर से रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।

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