धान की फसल में फाल्स स्मट की लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

धान की फसल में फाल्स स्मट रोग को कंडुआ, आभासी कांगियारी, पीलिया आदि नामों से जाना जाता है। ये रोग जहां उच्च आर्द्रता और 25-35 सेंटीग्रेड तापमान के वातावरण में यह रोग ज्यादा फैलता है। इस रोग का प्रकोप सितम्बर माह में अधिक होता है। इस रोग के लक्षण पौधों में बाली निकलने के बाद ही स्पष्ट दिखत हैं। रोगग्रस्त दाने पीले से लेकर संतरे के रंग के हो जाते हैं, जो बाद में जैतूनी- काले रंग के गोलों में बदल जाते हैं। 

नियंत्रण के उपाय

👉🏻 इस रोग की रोकथाम के उपाय बालीयों में दूध भरने की अवस्था में करना अति आवश्यक है। 

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास-कर्ब @ 500 ग्राम + कॉम्बैट @ 500 ग्राम  +  सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 लूना एक्सपीरियंस @ 200 मिली या सिग्नेट @ 400 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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