कपास की फूल अवस्था में बेहतर प्रबंधन जरूर करें

Do better management in the flowering stage of cotton
  • कपास की फसल में बुवाई के 40-50 दिन बाद पुष्प/डेंडु अवस्था के समय रस चूसने वाले कीट जैसे एफिड, जैसिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, मकड़ी के साथ साथ डेंडु को नुकसान पहुंचाने वाली गुलाबी सुंडी एवं कवक जनित बीमारियों जैसे पत्ती धब्बा रोग आदि का संक्रमण मुख्यतः देखा जाता है। इन कीटों एवं बीमारियों के नियंत्रण के साथ ही फसल में अधिक मात्रा में फूल आने के लिए उचित समय पर प्रबंध किया जाना चाहिए।

  • प्रबंधन: प्रोफेनोफोस 40% EC + साइपरमेथ्रिन 5% EC@ 400 मिली + कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 500 ग्राम + जिब्रेलिक अम्ल 0.001% @ 300 मिली + एबामेक्टिन @ 150 मिली/एकड़ का छिड़काव कर सकते हैं।

  • इसके 10-15 दिन बाद नोवेलूरान 5.25 + एमाबेक्टीन बेंजोएट 0.9 SC@ 600 मिली प्रति एकड़ या बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम प्रति + एमिनो एसिड @300 मिली + 0:52:34 @ 1 किलो/एकड़ का छिड़काव करें।

  • इस अवस्था में कपास की फसल को अधिक पोषण देने की आवश्यकता होती है। इस दौरान निम्नलिखित पोषक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं।

  • यूरिया @ 30 किलो एकड़ + MOP @ 30 किलो एकड़ + मैग्नीशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।

  • यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति करने में सहायता करता है। MOP (पोटाश) डेंडु के आकार को बढ़ाने का कार्य करता है। मैगनेशियम सल्फेट सूक्ष्म पोषक तत्व मैगनेशियम की पूर्ति करता है l

  • इस प्रकार पोषण, कीट एवं रोग का प्रबंधन करने से कपास की फसल से बहुत अधिक मुनाफा मिलता है।

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