इस कीट का प्रकोप शुष्क मौसम में अधिक होता है, इसे कटे एवं मुरझाये हुए पौधे से पहचान सकते है। इस कीट की इल्ली दिन के समय मिट्टी में छिपी रहती है एवं रात के समय बाहर आकर तने से पौधों को काट कर गिरा देती है। ये कंद के कुछ हिस्सा खाकर उन्हें भी नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण के उपाय
इसके नियंत्रण के लिए तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 400 मिली या नीम गोल्ड (एजाडिरेक्टिन 01.00% इसी) @ 600 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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