महाराष्ट्र राज्य का गोंदिया जिला धान की खेती के लिए जाना जाता है। यहां के किसान भाई धान के अलावा वैकल्पिक फसल का जोखिम उठाने से डरते हैं। इसी बीच डोंगरगांव निवासी पल्लवी वैभव गजभिये ने वैकल्पिक खेती के जरिए लाखों रूपए कमाकर एक मिसाल पेश की है।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पल्लवी ने अपने पति को खो दिया था। हालांकि संकट की इस घड़ी में अपने परिवार का भरण पोषण करना उनकी पहली जिम्मेदारी थी। ऐसे में अपना हौंसला बिना खोए उन्होंने खेती करने की ठानी। पल्लवी ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सब्जियों की खेती करने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के मार्गदर्शन में 2021-22 में ककड़ी की खेती की।
ककड़ी की खेती में ज़मीन की तैयारी, बीज, खाद, कीटनाशक दवाएं, बांस, प्लास्टिक मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई एवं श्रम को मिलाकर कुल 2 लाख 50 हजार का खर्चा आया। इसमें कृषि सिंचाई योजना और एकीकृत अभियान के तहत उन्हें प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई के लिए अनुदान प्राप्त हुआ। इस खेती में उन्हें 36 मेट्रिक टन ककड़ी का उत्पादन मिला। जिसे उन्होंने कृषि उपज मंडी में 12 रूपए के भाव से बेचने के बाद लाखों की कमाई की। इसमें लागत घटाने के बाद पल्लवी ने कुल 1 लाख 86 हजार रूपए का मुनाफा कमाया।
बता दें कि ककड़ी की फसल अवधि केवल 3 महीने की होती है। वहीं सब्जी उगाने का सीज़न साल में तीन बार आता है। ऐसे में वैकल्पिक फसल के तौर पर सब्जियों की खेती करना एक बढ़िया मुनाफा देने वाला फैसला है। जिसको अपनाकर पल्लवी वैभव गजभिये ने दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है।
स्रोत: रिबेल बुलेटिन
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