सामग्री पर जाएं
- ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत अधिक मात्रा में लगाई जाती हैं।
- बदलते मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल के विकास के समय बहुत समस्या आती है।
- मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कद्दूवर्गीय फसल में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
- मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है, जो पराग कणों को उठा लेते हैं। इसके बाद वे पराग कण को एकत्रित कर मादा फूलों तक पहुँचाते हैं।
- मधुमक्खी इन फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
- उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
Share
- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते हैं।
- इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
- मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है।
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुँचाती है।
- इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।
- अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते हैं, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते हैं।
Share